१
राहत देती
घुटने सहलाती
टुकड़ा धूप
२
पहाड़ स्पर्श
आचमन झीलों का
पधारी धूप
३
वक्त की छन्नी
बारीक-दरदरा
छानती धूप
४
थी गुलाब वो
बनी है अब शूल
धूप बबूल
५
तप के आई
बादलों से लड़ती
साहसी धूप
६
खेत में सोना
फलियों में मणिका
बो गई धूप
७
भोर को लाल
संध्या को सुनहरा
रंगती…
ContinueAdded by Manisha Saxena on March 19, 2016 at 12:00am — 3 Comments
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