For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक बड़ा सवाल (लघुकथा )

स्कूल में मध्यांतर हुआ |सब बच्चे अपने अपने टिफिन बॉक्स लेकर मैदान में जमा थे |रीना बड़े चाव से दादी के हाथ के बने आलू के पराठे खा रही थी |उसकी सहेली कुहू टिफिन खोल कर चुपचाप बैठी थी|

“कुहू जल्दी से टिफिन ख़त्म करो, घंटी बजने वाली है “

“रीना मुझे गणित का सवाल नहीं आया |देखना, मुझे शून्य अंक मिलेगा और घर पर मम्मी की डांट पड़ेगी| “

“हाँ कल मुझे भी नहीं आ रहा था| तुमने नेट पर सर्च किया था?”

“किया था |अर्जुन अकादमी व मैथ्स ऑन लाइन दोनों पर उदाहरण देखे थे |मैं बार बार गलती कर जाती थी |ठीक से समझ में नहीं आया |”

“अरे ये तो मेरी मम्मी ने भी बताईं थीं |उन्होंने कहा था इन दोनों साईट्स पर अच्छा समझाया है|”    

“तुम्हें समझ में आया ?”

“नहीं कुहू ,रात डिनर लगने तक सवाल किये पर सारे सवाल सही नहीं लग पाते थे |खाने के समय मैंने दादाजी से पूछा कि ३ मजदूर ४ दिन में एक दीवार बनाते हैं तो ६ मजदूर उस दीवार को कितने दिन में बनायेंगे ?दादाजी ने बताया कम लोग काम करेंगे  तो उन्हें ज्यादा समय लगेगा, अतः गुणा करेंगे|  ज्यादा लोग मिलकर काम करेंगे तो जल्दी कर लेंगे, अतः भाग करना होगा |है न आसान |”

कुहू की आँखें भर आयीं, घर में किससे पूछे अपने सवाल ?

.

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Archana Tripathi on August 16, 2015 at 12:30am
बुजुर्गो की महत्ता दर्शाती और आज के एकाँकी परिवार व्यवस्था पर तीखा प्रहार करती उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको मनीषा जी ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on August 15, 2015 at 8:28pm
खूबसूरत

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 13, 2015 at 10:38pm

आदरणीया मनीषा जी बहुत अच्छी लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई ... आधुनिक जीवन शैली में संयुक्त परिवार और बुजुर्गों की महत्ता को अभिव्यक्त करती प्रभावशाली पंचलाइन हुई है. सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service