For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा--बासंती उमंग

                      बासंती उमंग

आज सुबह से ही बहुत भागमभाग रही|भगवानजी को पीले वस्त्रों से सुसज्जित किया ,तोरण, बंदनवार मीठे चावल ,केसरिया खीर बनाकर सरस्वतीजी को भोग लगाया |बच्चों को कई बार याद किया क्योंकि सजावट के ये सारे काम उन्हीं के सुपुर्द  थे ,और वे भी बड़े उत्साह से सारी तैयारी कराते थे | ड्राइंग क्लास ,संगीत क्लास व घर की पूजा |तीनों जगह की पूजा करते करते न तो दम फूलता था ,न ही कोई परेशानी होती थी पर आज तो सुबह से ही थकान लग रही है |काम सब हो रहे हैं पर न तो कोई उमंग है न ही कोई उत्साह |बसंत के मौसम में ये क्या हो रहा है ,समझ में ही नहीं आ रहा है |सोचा थोड़ा आराम करके बचे हुए काम निबटा दूँगी |

           मोबाइल ले के व्हाट्सेप खोला तो सबसे पहले सखियों की बसंतपंचमी की शुभकामनाएं व बधाइयां मिली |धीरे धीरे सभी रिश्तेदारों के अकाउंट खोले सभी ने बसंतपंचमी की शुभकामनाएं दी थीं |फोटो ,सुविचार,शुभदिन ,शुभवंदन घुमाफिरा कर एक जैसे ही लग रहे थे |वही पीला फूल ,सरस्वतीजी की फोटो .....लगता था अरे अभी तो देखा था |मन बुझा सा जा रहा था ,कोई उमंग मन में नहीं उठ रही थी |कहने को तो इस आभासी दुनिया में सौ से ज्यादा मित्र हैं ,सभी ने कॉपी –पेस्ट करके सन्देश अग्रेषित किये थे पर उनके दिल की बात मुझ तक नहीं पहुँच रही थी |लग रहा था उधार के ली शुभभावनाओं तथा शुभकामनाओं के जुमलों की नुमाईश की जा रही है|सभी में सन्देश भेजने की जल्दी थी और काम निबटाने का भाव ज्यादा दिखता था|बार बार ये भावना मेरे मन मस्तिष्क पर हावी होती जा रही थी| क्या मेरा कोई भी ऐसा मित्र नहीं है जो सच्चे मन से याद करता है और अपनी ओर से दो शब्द मुझे लिखे |सोच सोच कर दिल बैठा जा रहा है ,अवसाद मुझपर हावी होता जा रहा है |आना जाना तो पहले ही नहीं के बराबर रह गया है |फोन पर ही हालचाल लेने लगे हैं |व्हाट्सेप के आने के बाद से तो सम्बन्ध शायद स्माइली ,थम्सअप व ओ.के जैसे इशारों तक ही सीमित रह गए हैं

          नहीं ..नहीं ऐसा नहीं है |मेरे जैसे सोचने वाली और भी मेरी सखियाँ होंगी ,कम से कम उनकी सहायता तो मैं कर ही सकती हूँ |कहते हैं ना आप खुश तो जग खुश |अच्छी सहेली का कर्तव्य  तो मैं निभा ही सकती हूँ |एक झटके से उठी और अपने हाथों से लगाईं बगिया के पीले गेंदे ,कारनेशन की फोटो खींची ,मेहनत से बनाए खिले खिले मीठे चावल के डोंगे के मेवों से सजा कर ,बसंत की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ फोटो खींच कर सबको भेजी |यह सब करने से कम से कम मेरा मन बासंती उमंग व उत्साह से भर गया |

मनीषा सक्सेना

१०-०२-२०१७

मौलिक व अप्रकाशित       

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manisha Saxena on April 2, 2017 at 4:10pm

आप सभी गुणीजनों को बहुत बहुत धन्यवाद |देरसे अपनी प्रतिक्रिया  देने के लिए माफी चाहती हूँ |मनीषा सक्सेना |

Comment by Nita Kasar on February 14, 2017 at 7:14pm
कापी,पेस्ट तो बेहद सरल सरल तरीका है ।है।दिल से निकली भावनायें बहुत मायने रखती है बधाई आपको आद० मनीषा सक्सेना जी ।
Comment by Manisha Saxena on February 13, 2017 at 8:07pm

Comment by pratibha pande on February 12, 2017 at 10:08pm

आभासी दुनिया में डूबे आज का सच  ...हार्दिक बधाई  आदरणीया मनीषा सक्सेना जी 

Comment by Samar kabeer on February 12, 2017 at 7:30pm
मोहतरमा मनीषा सक्सेना जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 10, 2017 at 10:48pm
बहुत ही व्यंगात्मक कटाक्ष पूर्ण लेखनी के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय मनीषा सक्सेना जी। दूसरे पैराग्राफ में थोड़ी कसावट की आवश्यकता महसूस हो रही है।
Comment by Archana Tripathi on February 10, 2017 at 10:25pm
आज की परिस्थिति पर बढ़िया कथा केलिए हार्दिक बधाई
Comment by Archana Tripathi on February 10, 2017 at 10:25pm
आज की परिस्थिति पर बढ़िया कथा केलिए हार्दिक बधाई
Comment by Mohammed Arif on February 10, 2017 at 6:27pm
आदरणीया मनीषा जी आदाब, बड़ी मन-भावन लघुकथा । बधाई सवीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
9 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
31 minutes ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service