For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा --वो आ गए

बड़े बाबा के जिगरी दोस्त,छोटे चाचा यूँ तो हमारे परिवार की रिश्तेदारी में कुछ नहीं लगते पर रिश्तेदारों से बढ़कर करते हैं |घर पर कोई मौका हो गम का या खुशी का,पिछले चालीस सालों से,वे सदैव उपस्थित रहते हैं|घर के किसी भी सदस्य का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह ,छोटे चाचा गुलाबजामन की हंडिया लेकर आते | ढेरों आशीष तो देते ही थे ,शेरो शायरी सुना कर माहौल को खुशगवार बना देते थे |हम सब भाई बहिन हँसते हुए आपस में कहते “वो आये नहीं ?”या “वो आ गए हैं |” “वो आ रहे हैं|”

आजकल के बच्चों व बहुओं को ये बात नागवार गुज़रती है बिन बुलाए मेहमान ,खातिर करो सो अलग |होटल में जन्मदिन मनाना हो तो जा नहीं सकते क्योंकि शाम को “वो आयेंगे”|घुमा फिरा कर बच्चे भी उनसे कहने लगे “आजकल तो व्हाट्सेप,फोन,ईमेल की इतनी सुविधा हो गयी है|आप इतनी गर्मी में बाहर मत निकला करिए ,आपकी तरफ से चिंता रहती है और आप भी धूप में परेशान होते हैं| “अरे नहीं बरखुरदार ,जबतक आपस में मिल बैठ कर बातचीत न कर लें,तबतक मन नहीं भरता है और तुम लोगों को देखे बिना चैन भी नहीं पड़ता है |ईमेंल व्हाट्सेप वगैरह तो बेकार की चीज़ है |हाँ दूरदराज़ में रहने वाले लोगों से वार्तालाप के लिये तो ठीक है,पर इससे आत्मीय सम्बन्ध नहीं बन पाते हैं | फिर धीरे से बोले “अच्छा अब मैं चलता हूँ|”

अगले दिन बिट्टू का जन्मदिन ,सुबह सुबह व्हाट सेप  पर गुलाबजामुन की हंडिया के चित्र के साथ छोटे चाचा का बधाई सन्देश आया|घर में दिन भर चुप्पी का दमघोंटू माहौल रहा |सबकी निगाहें दरवाज़े पर टिकी थीं ,शायद अब “वो आ गए”.

.

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manisha Saxena on August 1, 2017 at 8:57pm

आ.उस्मानी जी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |आपकी सलाह को मैं ज़रूर ध्यान में रखकर पुनः कोशिश करूंगी |इस बार की प्रतियोगिता में किन्हीं कारणों वश भाग नहीं ले आई पर इस विषय पर लघुकथा ज़रूर लिखूंगी |

Comment by Manisha Saxena on August 1, 2017 at 8:50pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ. नीता कसार जी  व जानकी वाही जी |

Comment by Nita Kasar on July 29, 2017 at 9:30pm
मन की दूरियाँ पाटती प्यारी सी कथा के लिये व सांर्थक कथा के लिये बधाई आद० मनीषा सक्सेना जी ।
Comment by Janki wahie on July 28, 2017 at 3:03pm
बेहतरीन कथ्य।बधाई
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 25, 2017 at 8:15pm
बहुत बढ़िया कथानक व बेहतरीन तथ्य और कथ्य को लेकर बढ़िया अंतिम पंक्ति के साथ बहुत अच्छे प्रयास के लिए सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय मनीषा सक्सेना जी। अब इसी रचना पर समय देकर इसमें अतिरिक्त विवरण की कांट-छांट कर या सम्पादन कर कुछ एक वाक्य-विन्यास बेहतर कर रचना में कसावट लाने का प्रयास कीजिएगा। आपकी अगली रचना की प्रतीक्षा रहेगी। इस माह के अंतिम 48 घंटों में आयोजित होने वाली मासिक लघुकथा गोष्ठी में सहभागिता कर हम सबके साथ लघुकथा अभ्यास कीजिएगा। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
9 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
17 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service