‘’आपने आज का अखबार पढ़ा अशफ़ाक मियां” कश्मीर में हालात और बेकाबू हो गये हैं!
“हाँ श्रीवास्तव जी पढ़ा!” इतना कहकर अशफ़ाक मियां चुप हो गये।
‘’आखिर मौकापरस्तों के चंगुल में जनता कैसे फँस जाती है ?" श्रीवास्तव जी फिर बोल पड़े।
कुछ देर चुप रहने के बाद अशफ़ाक मियां गहरी साँस लेते हुए बोले---
‘’घर का मामला जब अदालत में जाये तो यही अंजाम होता है’’!
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 2:30pm — 16 Comments
२२२ /२२२ /२२२
हाँ ये हसीन काम हमने ही किया
खुद को तो तमाम हमने ही किया
आगाजे-बरबादी तेरा करम
अंजाम इंसराम हमने ही किया (अंजाम इंसराम=अंजामिंसराम ) इंसराम = व्यवस्था
हुस्न पे तू सनम न कर यूँ गुमान
जहाँ में तेरा नाम हमने ही किया
रोज ये कहना कि न आयेंगे पर
कू पे तेरी शाम हमने ही किया
हर सुबह न मुँह को लगायेंगे…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 19, 2015 at 9:00am — 4 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ २२१२
तेरी महफ़िल के दिवाने को सनम और कोई महफ़िल भाती नही
तू जिसे जलवा दिखा दे,उसको अपनी याद भी फिर आती नही
***
तेरी मस्ती में मै हूँ सरमस्त,मस्तों के कलन्दर भोले पिया
तेरी मूरत यूँ छपी दिल में के,सूरत कोई दिल छू पाती नही
***
यूँ जिया में है भरी झंकार के,धड़कन मेरी पायल बन गयीं
मन थिरकता वरना क्यूँ ऐसे,मिलन के गीत सांसें गाती नही
****
आफताबो-माहताबो-कहकशां रौशन हैं तेरे ही नूर से
इश्क़ बिन तेरे,न टरता कण…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 16, 2015 at 9:00am — 12 Comments
1222 1222 1222 122
खुदा तेरी ज़मीं का जर्रा जर्रा बोलता है
करम तेरा जो हो तो बूटा बूटा बोलता है
किसी दिन मिलके तुझमें, बन मै जाऊँगा मसीहा
अना की जंग लड़ता मस्त कतरा बोलता है
बिछड़ना है सभी को इक न इक दिन, याद रख तू
नशेमन से बिछड़ता जर्द पत्ता बोलता है
हुनर का हो तू गर पक्का तो जीवन ज्यूँ शहद हो
निखर जा तप के मधुमक्खी का छत्ता बोलता है
बहुत दिल साफ़ होना भी नही होता है अच्छा
किसी का मै न हो पाया,ये शीशा…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 7, 2015 at 9:00am — 16 Comments
२१२ २२१२ १२१२
मै तो बलिहारी,अमीर हो गया
इश्क़ में रब्बा फकीर हो गया
***
मेरे रांझे का मुझे पता नही
बिन देखे ही मै तो हीर हो गया
**
उसके जलवे यूँ सुने कमाल के
दिलको किस्सा उसका तीर हो गया
***
शिवशिवा घट-घट मुझे पिलाओ अब
तिश्न मै वो गंग नीर हो गया
**
उसको पहनूं धो सुखाऊँ रोज मै
लाज मेरी अब वो चीर हो गया
***
गाऊँ कलमा मै सुनाऊँ दर-ब-दर
‘’जान’’ज्यूँ मै कोई पीर हो…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 2, 2015 at 10:30am — 18 Comments
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