212 212 212 212
साल बारह का अब है हुआ ओबीओ
उम्र तरुणाई की पा गया ओबीओ
शाइरी गीत कविता कहानी ग़ज़ल
के अमिय नीर का है पता ओबीओ
संस्कार औ अदब का यहाँ मोल है
लेखनी के नियम पर टिका ओबीओ
गर है साहित्य संसार का आइना
तब तो दर्पण ही है दुनिया का ओबीओ
सीखने व सिखाने की है झील तू
ये भी पंकज तुझी में खिला ओबीओ
मौलिक अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 3, 2022 at 11:30am — 16 Comments
212 212 212 212
जब कभी दर्द हद से गुज़रने लगा
शाइरी का हुनर तब निखरने लगा
ज़ख़्म जब भी लगा दिल से दरिया कोई
हर्फ़ बन कागज़ों पर बिखरने लगा
तन के भीतर जो उस आइने में उतर
कौन ऐसा है जो अब सँवरने लगा
बेवफ़ाई का ऐसा हुआ है असर
एक सन्नाटा दिल में पसरने लगा
रँग बदलने की आदत तेरी गिरगिटी
सो जहाँ तू नज़र से उतरने लगा
मौलिक अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 3, 2022 at 11:00am — 8 Comments
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