२२२ /२२२ /२२
सच का ओज भरम क्या जाने
रौशनी मेरी तम क्या जाने
*
अँधियारे को झुकने वाले
इक दीये का दम क्या जाने
*
दुधिया रंग नहाने वाले
लालटेन का गम क्या जाने
*
मटई प्याल की सौंधी बातें मटई/मटिया (भोजपुरी)= मिट्टी
पालथीन के बम क्या जाने
*
हमको सिर्फ साकी से मतलब…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 28, 2015 at 9:30pm — 28 Comments
२१२ २१२२ १२२२
गम नही मुझको तो फ़र्द होने पर (फ़र्द = अकेला)
दिल का पर क्या करूं मर्ज होने पर
उनको है नाज गर बर्क होने पर
मुझको भी है गुमां गर्द होने पर
चारगर तुम नहीं ना सही माना
जह्र ही दो पिला दर्द होने पर
अपनी हस्ती में है गम शराबाना
जायगा जिस्म के सर्द होने पर
डायरी दिल की ना रख खुली हरदम
शेर लिख जाऊँगा तर्ज होने पर
तान रक्खी है जिसने तेरी…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 16, 2015 at 10:30am — 20 Comments
2212 2212 2212 222
खुद से खफा हूँ जिन्दगी मक्तल हुयी जाती है
कोई खता गो आजकल पल पल हुयी जाती है
जबसे मुझे उसने छुआ है क्या कहूँ हाले दिल
शहनाई दुनिया धड़कने पायल हुयी जाती है
अब जबकि मै मानिन्द सहरा सा होता जाता हूँ
है क्या कयामत ये??जुल्फ वो बादल हुयी जाती है
शम्मा जलाकर मेरे दिल का दाग जिसने पारा
स्याही वही अब चश्म का काजल हुयी जाती है
सदके ख़ुदा को जाऊ मै क्या खूब रौशन है…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 5, 2015 at 10:30am — 10 Comments
२ १ २ २
इश्क क्या है?
इक दुआ है
दिल इबादत
कर रहा है
अपना अपना
कायदा है
पत्थरों में
भी खुदा है
कौन किसका
हो सका है
नाम की ही
सब वफा है
बस मुहब्बत
आसरा है
बिन पिये दिल
झूमता है
आँख उसकी
मैकदा है
फूल कोई
खिल रहा है
कातिलाना
हर अदा…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 2, 2015 at 11:30am — 39 Comments
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