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दिनेश कुमार's Blog – May 2015 Archive (1)

ग़ज़ल -- मुझको सुकून-ए-दिल किसी दर पर नहीं मिला ( बराए इस्लाह )

२२१-२१२१-१२२१-२१२



दिल जिस से आशना हो वो मन्ज़र नहीं मिला

मैं तिश्नालब ही रह गया, सागर नहीं मिला



पथरीले रास्तों पे ही चलता रहा हूँ मैं

सफ़रे हयात में मुझे रहबर नहीं मिला



अपनी बुराइयों से यूँ अन्जान हूँ अभी

मैं खुद से एक बार भी खुलकर नहीं मिला



बुझते दियों को शब्दों से रोशन जो कर सके

महफ़िल में ऐसा कोई सुखनवर नहीं मिला



साहिल पे ही तू बैठ के क्या सोचे ए बशर

मेहनत बिना किसी को भी गौहर नहीं मिला



इसकी तलाश में… Continue

Added by दिनेश कुमार on May 17, 2015 at 9:34pm — 22 Comments

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