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Nilansh's Blog – May 2012 Archive (3)

क्यूँ तेरा अब ,तुझी पे इख्तियार नहीं

क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?

मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं

ज़मीर तो होगा ही दामन में तेरे
शोहरत न रहे, तू खतावार नही

वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी
टिकती है खुदाई, कोई किरदार नहीं

खबरों में है पर दिलों में कहाँ
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं

Added by Nilansh on May 19, 2012 at 11:00am — 13 Comments

उदास नहीं देख सकता

स्याह रातों में चाँद का गिलास नहीं देख सकता

उखड़ी उखड़ी आवाज़ तेरी, बोझल सांस नहीं देख सकता

.

तेरे माथे पर कोई दोष न होगा कभी ,

तुझे मजबूर, बद -हवास नहीं देख सकता

.

हाँ , तेरी रुसवाई तो फिर भी सह लूँगा ,

तुझे खुद से नाराज़, उदास नहीं देख सकता

.

मेरी रूह में घुल गयी है मधु तेरी रहमत की

क्या हुआ कि रहूँ तनहा, तुझे आस पास नहीं देख सकता

.

हैं अजीब हालात, मगर तेरे कदम न रुकें

तुझे बिखरा हुआ सा, उजास…

Continue

Added by Nilansh on May 12, 2012 at 3:30pm — 13 Comments

मुझे उम्र भर एक रियाज बक्श दी

किसी  अदीब  ने  मुझे  अलफ़ाज़  बक्श  दी

खामोशियों  को  आवाज़  बक्श  दी
 
 
मेरे  दहलीज़  पर  भी  थोड़ी  रौनक  हो…
Continue

Added by Nilansh on May 6, 2012 at 9:30am — 6 Comments

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