नन्हीं चींटी
श्रमजीवी नन्हीं चींटी को
दीवारों पर चढ़ते देखा
रेखाओं सी तरल सरल को
बाधाओं से लड़ते देखा ll
श्रमित न होती भ्रमित न होती
आशाओं की लड़ी पिरोती
कभी फिसलती कभी लुढ़कती
गिर गिर कर पग आगे रखती ll
सहोत्साह नित प्रणत भाव से
दुर्धर पथ पर बढ़ते देखा ll
मन में नहीं हार का भय है
साहस धैर्य भरा निर्णय है
लाख गमों को दरकिनार कर
एक लक्ष्य जाना है ऊपर…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on May 29, 2018 at 8:51am — 6 Comments
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on May 5, 2018 at 7:44am — 8 Comments
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