भरा विश्व सारा मेरे नयन में ,
गगन का विश्राम है मेरे नयन में .
तिरस्कार सामने है मैत्री की सगाई
करुणा सागर है मेरे नयन में
धनुष मेघ जीवन का है ऐसा रचा
सफल रंग लहराता मेरे नयन में
कर्तव्य वृक्ष है उपवन में उगे
खिले स्नेह पुष्प है मेरे नयन में
बदले थे पथ विभन्न जन्म में
नया एक पथ है मेरे नयन में
न करना न सहेना , रोना न खेलना
मुक्तीकी छाया है मेरे नयन में...................…
Added by narendrasinh chauhan on May 5, 2015 at 3:00pm — 7 Comments
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