गौर वर्ण पर नाचती, सावन की बौछार।
श्वेत वसन से झाँकता, रूप अनूप अपार।। १
चम चम चमके दामिनी, मेघ मचाएं शोर।
देख पिया को सामने, मन में नाचे मोर।।२
छल छल छलके नैन से, यादों की बरसात।
सावन की हर बूँद दे, अंतस को आघात।।३
सावन में प्यारी लगे, साजन की मनुहार।
बौछारों में हो गई, इन्कारों की हार।। ४
कोरे मन पर लिख गईं, बौछारें इतिहास।
यौवन में आता सदा, सावन बनकर प्यास।।५
भावों की नावें चलीं, अंतस उपजा प्यार।
बौछारों…
Added by Sushil Sarna on June 30, 2020 at 9:30pm — 4 Comments
(221 2121 1221 212)
जाना है एक दिन न मगर फिक्र कर अभी
हँस,खेल,मुस्कुरा तू क़ज़ा से न डर अभी
आयेंगे अच्छे दिन भी कभी तो हयात में
मर-मर के जी रहे हैं यहाँ क्यूँँ बशर अभी
हम वो नहीं हुज़ूर जो डर जाएँँ चोट से
हमने तो ओखली में दिया ख़ुद ही सर अभी
सच बोलने की उसको सज़ा मिल ही जाएगी
उस पर गड़ी हुई है सभी की नज़र अभी
हँस लूँ या मुस्कुराऊँ , लगाऊँ मैं क़हक़हे
ग़लती से आ गई है ख़ुशी मेरे घर…
Added by सालिक गणवीर on June 30, 2020 at 8:00am — 14 Comments
बहरे मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़
221 / 2121 / 1221 / 212
बद-हालियों का फिर वही मंज़र है और मैं
इक आज़माइशों का समंदर है और मैं [1]
अरमान दिल के दिल में घुटे जा रहे हैं सब
महरूमियों का एक बवंडर है और मैं…
ContinueAdded by रवि भसीन 'शाहिद' on June 16, 2020 at 11:54am — 17 Comments
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