For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा's Blog – June 2010 Archive (7)

श्रंधान्जली

आज पिर्तु दिवस पर मै श्रधान्जली के रूप में अपना नाम ;; कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा'' रखता हूँ ,आने वाली रचनाओ में इसी नाम से आप लोग ,अपना प्यार और आशीर्वाद दें...धन्यवाद

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 20, 2010 at 2:15pm — 2 Comments

.मै इन्सान नहीं हूँ ..!!

कौन कहता है ........मै इन्सान नहीं हूँ ,

हरकतें तो वही हैं ,मतलब भगवान नहीं हूँ ॥



मन में सब दुनियावी इच्छओं का ढेर लगा है ,

सब है फिर भी मुझको भी, ९९ का फेर लगा है ॥



मन की सारी चिंताएं बिलकुल, सबके जैसी हैं ,

मेरी हैं सबसे अलग, तुम्हारी बताना कैसी है ॥



हम तो सबका भला मांगते, ऐसा मन कहता है ,

पर हमेशा अपने भले की ,दुआ ये मन करता है ॥



हूँ इन्सान पर कहता हूँ'' मै बेईमान नही हूँ '',

अगर यह सच है, तो लगता है ''इन्सान नही हूँ… Continue

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 19, 2010 at 8:01pm — 3 Comments

पल दो पल में वो मेरे दिल के..!!

इक बार क्या मिला वो ,हर दिल अज़ीज़ हो गया ,

पल दो पल में वो मेरे दिल के, करीब हो गया ॥



अनजान थे जो अब तक, उसके असरार से ,

अंजुमन में हुई जब उसकी आमद, हबीब हो गया ॥



फिजां में ना था कही पे, उसका नामोनिशां ,

है हर शख्श की जुबां पर, यही ''मेरा नसीब हो गया ॥



जो बदनामी के डर से, राहें अपनी बदल गए ,

हैं ! वो बने हम -सफर ,कुछ किस्सा अजीब हो गया ॥



जिंदगी को करीने से, सजा रखी थी हमने ''कमलेश '',

उसने दस्तक दी जब से ,दिले -मंजर बे-तरतीब हो… Continue

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 16, 2010 at 9:35pm — 4 Comments

हम कैसे भुला दें जहन से, भोपाल कांड को ....!!!

हम कैसे भुला दें जहन से, भोपाल कांड को ,

जिसने हिला के रख दिया ,पूरे ब्रह्माण्ड को ॥



भोपाल मे इंसानी लाशों के, अम्बार लगे थे ,

बुझ गए जीवन दिए जो, अभी-अभी जगे थे ॥



कोई किसी का ,कोई किसी का ,रिश्ता मर गया ,

जिंदगी समेटने की कोशिश मे ,सब कुछ बिखर गया ॥



जिनकी आँखों की गयी रौशनी , जीने की भूख गयी ,

खिली हुई कुछ उजड़ी कोखें , कुछ कोखें पहले सूख गयी ॥



सालों बाद स्मृत पटल पर, यादें धुंधली नही हुई हैं ,

भयावह मंजर से अब भी '' उसकी… Continue

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 16, 2010 at 11:48am — 7 Comments

तब क्यों न देखा !तुमने मुझे जी भर के ॥

भीग जाती थी तेरी आँखें, मुझे याद करके ,
तब क्यों न देखा !तुमने मुझे जी भर के ॥

जब सामने थी तो न ,टिक सकी ये मुझ पर ,
अब क्यूँ करती हैं शिकवा, ये रह -रह करके ॥

इनकी उल्फत का न कोई ,सानी है इस जहाँ में ,
बसाये रखती हैं ये यादें ,अपने में मर करके ॥

कौन समझे इन आँखों की, दीवानगी को ''कमलेश ''
भीगने की अदा अता की, खुदा ने इनको जी भर के ॥

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 10, 2010 at 9:39pm — 1 Comment

इक-इक कतरे का....!!

अपने लहू के इक -इक कतरे का हिसाब चाहिए !

फंदे पर लटकते 'अफज़ल'और'कसाब'चाहिए!



जिनका बहा है खून जरा ,उनके दिल से पूछिए ,

जो देखा था आँखों ने वो , सुंदर सा ख्वाब चाहिए !



कितनी गैरत बाकि है इस देश में ,गैरों के लिये ,

क्यों ? ये मेहमान नवाजी इनकी .जवाब चाहिए !



जिंदगियोंमें जो अँधेरा किया, इन जालिमों ने ,

इनमे रोशनी भरने को, हजारों महताब चाहिए !



इनकी जड़ों को काट दो ,जहाँ से ये निकलती है ,

उन शहीदों की आत्माओं को, भी इंसाफ चाहिए… Continue

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 10, 2010 at 9:02pm — 2 Comments

आज तक ....!!! नही मिली ..

आज तक वो नही मिली ,जिसकी दरकार थी ,

झूठी निकली मेरी तमन्ना ,पीड़ मिली हार बार थी ॥



तिनका -तिनका जोड़ परिंदों ने, घर अपना बना लिया ,

ना मिला कोई मेरे घर को,वैसे इनकी भरमार थी ॥



जब तक उसने मुड कर देखा ,तब तक हम दूर थे ,

मुड कर उन तक जा ना सके ,पैर बहुत मजबूर थे ॥



जिसको लेकर वो उलझे थे ,उनकी ग़लतफ़हमी थी ,

जिसे वो जीत समझे थे , वास्तव में उनकी हार थी ॥



''कमलेश''इन उल्फतों को क्या नाम देंगे आप सब ,

जिसे आप समझ बैठे ''हाँ ''वह उनकी… Continue

Added by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on June 8, 2010 at 10:59pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ..मैं निजि रूप में दर्पण जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्द को…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आ. अजय जी,अच्छे भावों से सजी हुई ग़ज़ल हुई है लेकिन दो -तीन बातें संज्ञान में लाने का प्रयत्न कर रहा…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,मतले से बात शुरुअ करता हूँ.. मुट्ठी भर का अर्थ बहुत थोड़े या लिटरल- 5 (क्यूँ…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, एक अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.  कई शेर हैं जो पाठकों…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted blog posts
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जंग के मोड़ पर (लघुकथा)-  "मेरे अहं और वजूद का कुछ तो ख्याल रखा करो। हर जगह तुरंत ही टपक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
" नमन मंच। सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हार्दिक स्वागत। प्रयासरत हैं सहभागिता हेतु।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"इस पटल के लघुकथाकार अपनी प्रस्तुतियों के साथ उपस्थित हों"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"उत्साहदायी शब्दों के लिए आभार आदरणीय गिरिराज जी"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service