गजल-
सोच समझकर कदम उठाना।
कहीं ऐसा न हो पडे पछताना।।
यह दुनियां इतनी गोल है दोस्तों।
कोई न यहां अटल ठहराना।।
जिसने गम को खा लिया।
उसे क्या खाना औ खिलाना।।
जिनको कोई समझ नहीं हैं।
मुश्किल हैं उनको समझाना।।
हुक्म देना आसाँ होता हैं लेकिन।
मुश्किल हैं करना औ करवाना।।
अभी आज कल या बरसो बाद।
आखिर इक दिन सबको जाना।।
नसीब में लिखा ही मिलता हैं।
सबको यहां पे आबो-दाना।।
हम तो तेरे हो…
Added by nemichandpuniyachandan on June 4, 2011 at 12:30pm — No Comments
गजल
आंखों में उल्फत का अंजन लगाईए।
टूटते हुए रिश्तों पे बंधन लगाईए।।
गर जज्बातो में नफरत की बू आये तो।
ऐसे सवालातों पे मंजन लगाईए।।
जब कभी जुल्मो-सितम हद से गुजर जाये।
तब अम्न के लिये जानो-तन लगाईए।।
लेने के बदले कुछ देना भी सिखिये।
हर जगह मुफ्त का ना चंदन लगाईए।।
जब रंजों-गम से दिल चंदन बेकरार हो जाये।
तब अंतस में धुन अलख निरंजन लगाईए।।
Added by nemichandpuniyachandan on June 2, 2011 at 12:00pm — 3 Comments
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