गज़ल
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अख़लाक पर मुहब्बत भरोसा रहा नहीं
हमदम रहा कोई कहाँ जानाँ हुआ नहीं
दिल जानता है तुझसे अभी प्यार भी कहाँ
जो बिक चुका है वो जहाँ तो मन बसा नहीं
लगता उन्हे नहीं है वो दरकार भारती
गर चाहिए है मुल्क तो मौसम रहा नहीं
गुलदस्ता हिन्दुस्तान है था और होगा भी
क़मज़र्फ था सदा वो तो भाई हुआ नहीं
औरंगजेब तेरा तो राणा हमारा है
मत खेल तू ज़मीर से…
Added by Chetan Prakash on June 30, 2022 at 10:00am — 1 Comment
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