Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on July 26, 2015 at 5:30am — 7 Comments
झरना फूटा
संगीत फ़ैल गया
हुआ बावरा
यात्रा अनंत
लक्ष्य का पता नहीं
चलाचल रे
नदी की धारा
रोके नही रूकती
हारीं चट्टानें
मानव मन
उड़ने को आतुर
पंख फैलाये
कोलाहल में
गहराया एकांत
भागी उदासी
.
यह मेरी अप्रकाशित और मौलिक रचना है
डॉ.बृजेश कुमार त्रिपाठी
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on July 10, 2015 at 8:30am — 4 Comments
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