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Archana Tripathi's Blog – August 2015 Archive (2)

सामन्जस्य की परिभाषा (लघुकथा )

प्रतियोगी परीक्षाओं में मिली असफलता से निखिल अवसादग्रस्त हो चला था। पत्नी स्नेहा को मिली नौकरी से गृहस्थी की गाडी सुचारू रूप से चलने लगी थी।लेकिन दोहरी जिम्मेदारी के बोझ तले वह बुरी तरह पीस रही थी। जिसका असर उसके व्यवहार में भी परिलक्षित हो रहा था ।

आज घर में घुसते ही साफ -सुथरा घर , और टेबल पर लगे खाने से आती खुशबू से स्नेहा भौचक्की थी, की निखिल कहने लगा -



"पढ़ते-पढ़ते थक गया था सो खाना बना लिया। शायद तुम्हे पसंद आ जाए। "

पसंद-नापसन्द से परे वह अपने घर में पति-पत्नी के मध्य… Continue

Added by Archana Tripathi on August 27, 2015 at 4:34pm — 9 Comments

पराश्रित तो नहीं (लघुकथा )

"मम्मी स्कूल की नौकरी , बिट्टू को पढ़ाने के बाद रात का खाना बनाना मेरे बस की बात नहीं हैं।"
"लेकिन बहू घर का अन्य काम तो इस उम्र में भी मैं ही करती हूँ तो क्या तुम एक समय का खाना भी नहीं बना सकती ?"
"नहीं बना सकती क्योकि मैं नौकरी करती हूँ , आपकी तरह घर में नहीं बैठी रहती "
ससुरजी हस्तक्षेप करते हुए -
"बस बहुत हो गया बहू , आज से तुम अपनी गृहस्थी देखो और हम अपनी जिम्मेदारी खुद उठा लेंगे और फिर हम पराश्रित भी तो नहीं हैं ।"

मौलिक और अप्रकाशित

Added by Archana Tripathi on August 21, 2015 at 12:00am — 15 Comments

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