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सामन्जस्य की परिभाषा (लघुकथा )

प्रतियोगी परीक्षाओं में मिली असफलता से निखिल अवसादग्रस्त हो चला था। पत्नी स्नेहा को मिली नौकरी से गृहस्थी की गाडी सुचारू रूप से चलने लगी थी।लेकिन दोहरी जिम्मेदारी के बोझ तले वह बुरी तरह पीस रही थी। जिसका असर उसके व्यवहार में भी परिलक्षित हो रहा था ।
आज घर में घुसते ही साफ -सुथरा घर , और टेबल पर लगे खाने से आती खुशबू से स्नेहा भौचक्की थी, की निखिल कहने लगा -

"पढ़ते-पढ़ते थक गया था सो खाना बना लिया। शायद तुम्हे पसंद आ जाए। "
पसंद-नापसन्द से परे वह अपने घर में पति-पत्नी के मध्य सामन्जस्य की प्रस्थापित होती नई परिभाषा पढ़ने में मगन थी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 4:53pm
आदरणीया लिखना चाहिए
गलती से आदरणीय लिखा गया
क्षमा
सादर
Comment by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 4:52pm
नमस्कार आदरणीय अर्चना जी
बहुत बहुत बधाई
बेहतरीन प्रस्तुति
और सार्थक सन्देश
सादर
Comment by Archana Tripathi on September 1, 2015 at 4:21pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आप मेरी ब्लॉग पोस्ट पर पहली बार आये और सकारात्मक समीक्षा के साथ अमूल्य समय दिया ।हार्दिक आभार आपका ।
आदरणीय मैं सदैव आप सभी वरिष्ठ जनो का मार्गदर्शन चाहूंगी ।
सादर
Comment by Archana Tripathi on September 1, 2015 at 4:16pm
शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी, हार्दिक आभार
Comment by Archana Tripathi on September 1, 2015 at 4:14pm
शुक्रिया आदरणीय कांता जी ,आपके द्वारा अथाह उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 6:31pm

दैनिक जीवन के  ठोस यथार्थ को स्वीकारने के क्रम में उठे कदमों का स्वागत होना ही चाहिये. इस भावमय किन्तु जीवन की सच्चाई को रेखांकित करती लघुकथा केलिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अर्चनाजी. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 29, 2015 at 10:49am

सामंजस्य को को परिभाषित करती  रचना  के लिए बधाई 

Comment by kanta roy on August 28, 2015 at 11:15pm

परिभाषा की सुंदर परिभाषा....  वाह....बहुत खूब लघुकथा हुई है आपकी आदरणीया अर्चना जी .....बधाई स्वीकार करें 

Comment by Archana Tripathi on August 28, 2015 at 12:39pm
पोस्ट को स्वीकृत करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

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