सुहानी सुबह में
खिली थी नन्ही कली
बगिया गुलजार थी
मेरी मौजूदगी से
आने जाने वाले
रोक न पाते खुद को
नाजुक थी कोमल थी
महका करती थी
माली ने सींचा था
खून पसीने से
देखा था सपना
सजोगी कभी आराध्य पर
कभी शहीदों के सीने पर
फूल भी गौरवान्वित थी
अपनी इस कली पर
कर रही थी रक्षा कांटे भी
पते ढक कर सुलाती थी
कली तो अभी कली थी
उसने खुद के लिए कुछ
सोचा भी नहीं था
लापरवाह थी भविष्य से…
Added by shubhra sharma on August 30, 2013 at 5:30pm — 14 Comments
श्रवण की बहन श्रद्धा सरकारी अस्पताल में भर्ती थी | विधवा माँ श्रद्धा से मिलने को व्याकुल थी |श्रवण असमंजस में था कि माँ को कैसे रोके | उसके सास ससुर श्रावण पूर्णिमा में गंगा स्नान करने को आ रहे थे |
श्रवण - माँ :तुम जानती हो रेखा कैसे घर से आयी है, उसे काम करने की आदत नहीं है |समय पर खाना ,नाश्ता देने को तो तुम्हे खुद ही रुक जाना चाहिए था |पर तुम्हे हमारे घर की इज्जत से क्या लेना देना ? तुम्हे तो केवल श्रद्धा चाहिए , वो मरी तो नहीं जा रही है | उसे रोग बढ़ा चढ़ा कर बताने की आदत है |
दो…
Added by shubhra sharma on August 26, 2013 at 12:44pm — 24 Comments
बूढी दादी अपने पोते गोलू को लेकर गाँव के प्राथमिक विद्यालय में गई . उनको देखकर मास्टर साहब कहने लगे कि आपने इतना कष्ट क्यों किया . दादी जी बोली -गोलू पढ़ेगा इसी विद्यालय में लेकिन दोपहर का खाना ये घर पर ही खायेगा . बस एक ही बात कहने को आयी हूँ कि इसके पिता ने हमें शहीद की माँ होने का गौरव दिया है और इसे उसके अधूरे काम को पूरा करने के लिए जिन्दा रहना है .
शुभ्रा शर्मा 'शुभ '
मौलिक और अप्रकाशित
Added by shubhra sharma on August 12, 2013 at 1:30pm — 31 Comments
अजान सुन हामिद की नींद खुली, उसे याद आया कि उसके मालिक ने आज रात वध हेतु एक गाय लाने को कहा है. हामिद मालिक से पैसे ले बाजार से गाय खरीदकर आ रहा था. रास्ते में हामिद कभी गाय को पानी पिलाता तो कभी हरी घास खिलाता । गाय को बृक्ष की छाया में बांध खुद भी आराम करने लगा .थके होने के वजह से उसकी आँख लग गयी. अचानक आँख खुलने पर वह घबरा कर गाय ढूंढने लगा, तभी उसकी नजर मंदिर के अहाते में गाय पर पड़ी. वह गाय को…
Added by shubhra sharma on August 1, 2013 at 11:30am — 25 Comments
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