For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा -बहुरूपिया

हनुमान के रूप मे लोगों से भिक्षा माँग गुजर बसर कर रहे बहुरूपिये पर बङे आतंक वादी गिरोह के लिए काम करने वालों की नजर पङी।उनका आदमी बहुरूपिये से गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड स्थल पर कमंडल बम जगह जगह रखकर दहशत फैलाने के लिए सबसे उपयुक्त और सुरक्षित आदमी समझकर एकांत मे डील करने के लिए बात की।
आदमी-बाबा ! आपको केवल दस से पंद्रह जगहों पर कमंडल रखने है , बदले मे इतने पैसे मिलेंगे कि आपको रूप बदलकर भीख माँगने की जरूरत नहीं पङेगी ।
बाबा- (कुछ रूक कर) बेटा ! पेट के लिए गरीबी मे बहुरूपिया बन सकता हं , भीख नहीं मिलने पर भूखे मर सकता हू , भिखारी , निक्कमे का ताना सुन सकता हू , पर जीते जी देशद्रोही नहीं बन सकता ।

मौलिक और अप्रकाशित
शुभ्रा शर्मा 'शुभ'

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on January 31, 2014 at 1:18pm

आदरणीया शुभ्रा जी, सुन्दर कथा. देश भक्ति की भावना को हर व्यक्ति में दिखाने की सुन्दर कोशिश की गयी.

कथा के कसावट पर सुधीजन अपने विचार रखेंगे.

सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2014 at 3:03pm

शुभ्राजी ..क्या जज्वा है ..यह देश यूं ही सलामत नही है ..देश प्रेम से बढ़कर कोई प्रेम नहीं ..अत्यंत सार्थक अभिव्यक्ति ..सार्थक कथा के लिए तहे दिल बधायी कवूल करें ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 28, 2014 at 1:12pm

बहुत सुन्दर सार्थक कथ्य लघु-कथा का प्रिय शुभ्रा जी,

दूसरी पंक्ति में व्याकरणिक त्रुटी है..आप पुनः देख लीजिये साथ ही वार्तालाप को इनवर्टेड कोमाज़ में लिखें, तो कहा स्पष्ट होगा..

इस सद्प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by Saarthi Baidyanath on January 28, 2014 at 11:04am

बहुत ही बढ़िया ...सार्थक कथा !

Comment by बृजेश नीरज on January 27, 2014 at 10:41pm

अच्छी है! आपको हार्दिक बधाई!

दूसरी पंक्ति में व्याकरण दोष है!

सादर!

Comment by Meena Pathak on January 27, 2014 at 5:31pm

बहुत सुन्दर .... अनुपम 

Comment by shubhra sharma on January 26, 2014 at 1:02pm
आदरणीय अखिलेश जी , आपके अभिव्यक्ति हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 26, 2014 at 12:14pm

सच्चे देश भक्ति की भावना अभाव और गरीबी में जी रहे व्यक्तियों में ही बची है । जो ज्यादा पढ़ा लिखा है वह वह उतना ही अंग्रेजी परस्त हो गया है,  देश को लूटने खसोटने में लगा है। लेकिन आश्चर्य यह कि ऐसे  लोग ही  इस देश में न सिर्फ राज कर रहे हैं बल्कि करोड़पति ,अरबपति, और खरबपति भी  यही लोग हैं। इन्हीं के कारण देश का यह हाल है॥

सुंदर लघु कथा की हार्दिक  बधाई आदरणीया  शुभ्रा शर्माजी॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई प्रदत्त विषय पर बढ़िया गीत रचना हुई , हार्दिक बधाइयां "
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
41 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध हो जाता है तब आवश्यक शांति संदेश जब निरर्थक हों.......सत्य कहा है आपने.   आदरणीय…"
45 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ये झगड़े फिर बढ़ेंगे ध्यान रखना सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है....वाह ! वाह ! आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी…"
51 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शान्ति और युद्ध   कारण और अकारण कितने, युद्धों से इतिहास भरा है। वीरों के खोने का दिल…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई आभार आपका "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील भाई .                      …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, जबरदस्त कहन है। हार्दिक बधाई"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ भाई , सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अजय भाई प्रदत्त विषय पर आपकी सारगर्भित नज़्म के लिए आपको हार्दिक बधाइयां "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"//कोशिश रहेगी सरना की रचनाएँ कम से कम मंच पर पोस्ट हों //    नहीं, आदरणीय. रचनाओं…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी  आपकी किसी बात से इंकरा नहीं । कोशिश रहेगी सरना की रचनाएँ कम से कम मंच…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service