ग़ज़ल
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मयकशी मयकशी नहीं लगती !
रौशनी रौशनी नहीं लगती !!
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अब इबादत में दिल नहीं लगता !
बन्दगी बन्दगी नहीं लगती !!
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हर तरफ भीड़ और मैं तनहा!
बेबसी बेबसी नहीं लगती !!
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दिल में रखते हैं वोह तो दिल कितने !
आशिकी आशिकी नहीं लगती !!
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गुफ़्तगू आप से करें कैसे !
आपको तो कमी नहीं लगती
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हैं खफा वोह अगर खफा हम है !
दोसती दोसती नहीं लगती !!
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चाँद तारों के साथ चलता हूँ !…
Added by राज लाली बटाला on September 25, 2013 at 8:30pm — 26 Comments
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