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( दो जन्म )

हाँ , आज  हुआ है मेरा 

जन्म , 
एक शानदार हस्पताल में ....
कमरे में टीवी है ...
बाथरूम है ...फ़ोन है ....
तीन वक्त का खाना 
आता है .....
जब मेरा जन्म हुआ 
तो मेरे पास ...
डाक्टरों और नर्सों 
का झुरमट ....
मेरी माँ मुझे देखकर 
अपनी पीड़ा को 
कम करने की कोशिश 
कर रही है .....
हर तरफ ख़ुशी बिखर 
गयी है मेरे आने से ....
दुनिया की हर अख़बार में ,
टीवी पे , फेसबुक पे ,
ट्विटर पे ......हर जगह 
पे घोषणा हो रही है 
हमारे आने की .....
मेरे पिता जी व्यस्त है 
लोगों के मिलने में ...
फोन सुनने में ...
उनकी ख़ुशी का 
कोई ठिकाना नहीं ...
चारों तरफ बस ख़ुशी ही ख़ुशी 
हाँ मेरा भी जन्म हुआ 
है आज ....
एक सडक के किनारे 
गरीब की झोंपड़ी में .....
उस झोंपड़ी में ....
बस एक दिया है ...
जो न मात्र रौशनी दे रहा है  .....
मेरी माँ पीड़ा से अभी भी 
कराह रही थी .....
कोई डाक्टर या नर्स नहीं 
आई थी ...
पास वाली झोंपड़ी से 
ही एक औरत ने 
आकर मेरे पैदा 
होने में सहायता की  .....
मेरे पिता जी उस वक्त 
भी मजदूरी कर के घर 
आए  ......
कैसा है  मेरा आना 
कोई भी खुश नहीं हो रहा 
सिवाए मेरी माँ के .....
मेरे पिता जी अब
यह सोच रहे है  कि
पहले दो लोगों का 
ही मुश्किल से चलता है ...
अब तीन तीन लोगों का ....
कैसे चलेगा ......
हाँ अगर किसी को 
दरअसल ख़ुशी 
हुई होगी तो मेरे 
पिता जी के मालिक 
को ....
जिसको लगा कि 
उसका एक और 
मजदूर बढ़ गया है ....
इन दोनों ही जन्मों 
में जमीन आसमान 
का फर्क है .....
हाँ अगर कुछ समान्य 
है तो दोनों माताओं का 
इस  क्रिया से गुजरना 
पर फिर भी हम कैसे 
कह देते हैं ,
सभी मानुष एक से है 
 जभ भी सोचता हूँ ..
विचलित हो जाता हूँ ...
पर इसका जवाब मेरे 
पास तो नहीं है .....लाली 

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Comment

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Comment by राज लाली बटाला on May 24, 2012 at 12:29am

JAWAHAR LAL SINGH  - Thanks a lot ji !! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 8, 2012 at 4:52am

प्रिय लाली शर्मा जी, बहुत हे सुन्दर शब्दों में बयां की है आपने दो जन्मों की वास्तविकता को ! माँ की खुशी को जो हमेशा एक सा होती है! एक खूबसूरत अहसास! बधाई!

Comment by राज लाली बटाला on February 20, 2012 at 7:53pm

Thanks  ganesh lohani   ji !! आभारी हूँ आप  का  मित्र  !!  

Comment by राज लाली बटाला on February 20, 2012 at 7:52pm

You are right Dr. Prachi Singh  ji , i agree with your views ,,,poor has to suffer more !! thanks a lot for your feedback !

Comment by ganesh lohani on February 17, 2012 at 12:28pm

बहुत सुंदर रचना . खाई को पाटनेकी आवश्यकता है.

Comment by राज लाली बटाला on February 16, 2012 at 10:03pm

Thanks आशीष यादव  ji !! आभारी हूँ आप  का  मित्र  !!  

Comment by आशीष यादव on February 14, 2012 at 6:09am
कविता बिल्कुल यथार्थ के रस्ते होकर गुजर रही है। जो अन्तर है स्पष्ट कर रही है। भावयुक्त एवँ हकीकती रचना हेतु बधाई
Comment by राज लाली बटाला on February 14, 2012 at 5:52am

Thanks Ravi Prabhakar  ji !! आभारी हूँ आप  का  मित्र  !!  

Comment by Ravi Prabhakar on February 13, 2012 at 6:35pm

बहुत खूब

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 9, 2012 at 1:06pm
हंजुआं दा की है
 
हंजुआं दा की है आंदे बह जांदे
दिल दी कहाणी आ के कह जांदे
हंजुआं दा की है----------------
ख़ुशी विच आंदे हंजु ग़म विच आंदे
आप भी रोंदे नाल सबनुं रूआंदे
किन्ना कुछ बेबस सैह जांदे
दिल दी कहाणी आ के कह जांदे
हंजुआं दा की है----------------
 
 
दिल दी कहाणी आ के कह जांदे
हंजुआं दा की है----------------
 
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09350078399

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