गुफा
से निकले हुए लोगों ने
'कुर्सी' बनाई,
अपने राजा के लिए
ज़मीन पर बैठे - बैठे
राजा कुर्सी पर बैठा है शान से
कुर्सी बनाने वाले ज़मीन पर
सबसे पहली कुर्सी 'पत्थर' की थी
फिर इंसान ने लकड़ी की कुर्सी बनाई
बाद में सोने ,चाँदी ,हीरे, जवाहरात की भी....
इतिहास में तो कई बार नरमुंडों की भी कुर्सियां बनाई गयी
और फिर उस पर बैठ के 'राजा' बहुत खुश हुआ...
कुर्सी बनाई गयी थी
इस उम्मीद में कि इस पर बैठा हुआ
राजा राज्य में
सुख शांति…
Added by MUKESH SRIVASTAVA on September 23, 2017 at 3:06pm — 5 Comments
मुट्ठी भर
ताकतवर
और बुद्धिमान
लोगों ने
इकठ्ठा किया
ढेर सारे लोगों को
और
आवाहन किया
कहा
"हमें इस धरती को
स्वर्ग बनाना है
और बेहतर बनाना है "
और हम
चल पड़े
तमाम जंगल काटते हुए
पहाड़ों को रौंदते…
Added by MUKESH SRIVASTAVA on September 18, 2017 at 3:29pm — 3 Comments
चुन्नों, मेरा चश्मा कंहा रखा है ? चुन्नो मेरी नयी वाली कमीज नहीं मिल रही है, चुन्नो तुमने मेरा रुमाल देखा है क्या? चुन्नो एक कप चाय मिलेगी क्या? चुन्नो चुन्नो चुन्नो सच घर आते ही चुन्नो चुन्नो के नाम की माला जपने लगता हूं। सच आफिस मे रहता हूं तो आफिस की छोटी छोटी बातें नही भूलती पर घर आते ही जैसे यादें हैं कि साथ छोड के फिर से आफिस मे ही दुपुक जाती हैं ये कह के कि जाओ अब अपनी चुन्नो के साथ ही रहो मेरी क्या जरुरत है वो जो है न तुम्हारी और…
ContinueAdded by MUKESH SRIVASTAVA on September 17, 2017 at 11:30am — 5 Comments
Added by MUKESH SRIVASTAVA on September 9, 2017 at 11:06pm — 8 Comments
रंग बिरंगा हो गया हूँ,
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जैसे
कच्ची दोमट
मिट्टी का धेला
धीरे धीरे घुलता है
बारिस के पानी में
और पानी मटमैला मटमैला हो जाता है
मिट्टी की सोंधी सोंधी महक के साथ
बस ऐसी ही
तुम घुलती हो मुझमे
और घुलता जाता है
तुम्हारी आँखों की पुतली का
ये कत्थई रंग
सिर्फ आँखों का रंग ही क्यूँ
तुम्हारे काजल का गहरा काला
आँचल का आसमानी
गालों का गुलाबी
होंठो का मूँगिया
और तुम्हारी हंसी का दूधिया…
Added by MUKESH SRIVASTAVA on September 7, 2017 at 4:39pm — 5 Comments
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