रंग बिरंगा हो गया हूँ,
------------------------------
जैसे
कच्ची दोमट
मिट्टी का धेला
धीरे धीरे घुलता है
बारिस के पानी में
और पानी मटमैला मटमैला हो जाता है
मिट्टी की सोंधी सोंधी महक के साथ
बस ऐसी ही
तुम घुलती हो मुझमे
और घुलता जाता है
तुम्हारी आँखों की पुतली का
ये कत्थई रंग
सिर्फ आँखों का रंग ही क्यूँ
तुम्हारे काजल का गहरा काला
आँचल का आसमानी
गालों का गुलाबी
होंठो का मूँगिया
और तुम्हारी हंसी का दूधिया रंग
मेरे वज़ूद में घुल मिल जाते हैं
तुम्हारे स्नेह और प्रेम की बारिस में
तुम देखो न 'मै कितना रंग बिरंगा हो गया हूँ,
और रंग बिरंगी हो गयी है मेरी कविता, बिलकुल तुम्हारी तरह '
क्यूँ है न ??
देखो ! देखो, तुम हंसना नहीं
और ये मत कहना तुम ' तुम पागल हो '
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत ही अच्छी कविता प्रस्तुत की है आ. मुकेश जी आपने. मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं उन्हें देख लीजिएगा जैसे :
//मेरे वज़ूद में घुल मिल जाता है
तुम्हारे स्नेह और प्रेम की बारिश में//
बहुत-बहुत बधाई. सादर.
aabhar mitra - hauslaa aafzaee ke liye Sri Samar Kabeer jee aur Raaz nawadavee
आदरणीय MUKESH SRIVASTAVA जी, सुन्दर कविता लेखन पर बधाई स्वीकार करें. रंगों की मनोहर छटा उकेरी है. मुबारकबाद
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online