For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै एक पेड़ होता और तुम होती गिलहरी

काश,
मै एक पेड़ होता
और तुम होती
गिलहरी
जो अपनी बटन सी
चमकती आँखों से
इधर - उधर देखती
ऊपर चढ़ती और कभी उतरती
तुम्हे देखता
चुक -चुक करते हुए हरी पत्तियों को
अपने मुहे में दबाये हुए फुदकते हुए
और फिर ज़रा सी आवाज़ या
आहट से भाग के मेरे तने की खोह में छुप जाना
जैसे, तुम दुपुक जाती थी
मेरी बाँहों में,
उन दिनों जब हम तुम दोनों थे
एक दूजे के गहन प्रेम में
(हलाकि मै तो आज भी हूँ
तुम्हारे प्रेम में, तुम्हारा पता नहीं )

ओ ! मेरी प्रिये क्या ऐसा हो सकता है किसी दिन ?

कि तुम बन जाओ गिलहरी
और मै बन जाऊँ पेड़

मुकेश इलाहाबादी ----------------

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 17, 2017 at 11:46am

rachna pasandgee ke liye dheorn badhaee - laxman jee Kalpana ji- girish bhandari jee aur sabhee mtira

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 14, 2017 at 7:37pm
सुंदर रचना के लिए मुकेश जी हार्दिक बधाई ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 14, 2017 at 5:44pm

अच्छी कविता रची है आदरणीय , हार्दिक बधाई आपको |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2017 at 9:12pm

आदरणीय मुकेश भाई , अच्छी कविता रची है , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by ARUNESH KUMAR 'Arun' on September 12, 2017 at 9:08pm

सादर बधाई । बहुत अच्छी कविता है। 

Comment by SALIM RAZA REWA on September 11, 2017 at 10:07pm
सुंदर रचना के लिए मुकेश जी बधाई,
Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 8:17pm

आ. मुकेश जी, बहुत ही बढ़िया लगी आपकी कविता. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.

Comment by Samar kabeer on September 11, 2017 at 7:37pm
जनाब मुकेश श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
कुछ जगह टंकण त्रुटियां हैं,देख लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
8 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Jul 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service