जिस इश्क में दिल्लगी नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
सिलसिला साँसों का जिस रोज़ थम गया
रौशनी गई दिये से और प्यार मर गया
धड़कन में अगर खून की लाली नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
दिखावा प्यार का तुम खूब कर चुके
दे दे के तोहफे प्यार में मिरा घर भर चुके
सेंकडो तो आने जाने के बहाने कर चुके
जोश था जो मिलन का वो आज मर चुका
जिस इश्क में दिल्लगी नही…
ContinueAdded by DR ARUN KUMAR SHASTRI on September 19, 2020 at 3:00am — 2 Comments
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