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SudhenduOjha's Blog – September 2018 Archive (3)

पुष्प श्रद्धा के ना चढ़ें तो अर्चना ही व्यर्थ है।

पुष्प श्रद्धा के ना चढ़ें तो अर्चना ही व्यर्थ है।

भाव जिसमें शुचित ना हो, सर्जना ही व्यर्थ है।।

तुम न कोलाहल सुनो,

ना ही करतल ध्वनि बिको।

सत्य के आधार पर

सुंदरम बन कर टिको।।

दृष्टिहीनों के समक्ष, अति नर्तना ही व्यर्थ है।

पुष्प श्रद्धा के ना चढ़ें तो अर्चना ही व्यर्थ है।।

भाव जिसमें शुचित ना हो, सर्जना ही व्यर्थ है।।

मेनका की कामना

और उसीकी उपासना।

व्यर्थ शालिग्रामों में है

फिर सत्य को…

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Added by SudhenduOjha on September 10, 2018 at 11:00am — No Comments

रात का सुन-सान पल मैं, निर्वसन हूँ प्यार कर।

रात का सुन-सान पल मैं, निर्वसन हूँ प्यार कर।
सिंधु तट की रेत मैं, प्रिय है मेरा उच्छृंखल लहर।।
यामिनी कह चंद्रिका से, 
मधु पात्र को वो ढाल दे।
आज श्लथ भू पर गिरूं, 
कुछ इस तरह का गात्र दे।।
चांदनी की शीतल छुवन
हो प्रेम पगता वक्ष पर
रात का सुन-सान पल मैं,…
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Added by SudhenduOjha on September 4, 2018 at 5:00pm — 1 Comment

चाहता मैं नहीं था गीत गाना कोई भी।

यूँ ही..........

चाहता मैं नहीं था गीत गाना कोई भी।

तुमने मेरे अधर पर क्यों शब्द लाकर रख दिये।।

**************************************

चाहता मैं नहीं था

गीत गाना कोई भी।

तुमने मेरे अधर पर क्यों

शब्द लाकर रख दिये।।

मैं मुदित था पक्षियों को

नभ में विचरता देख कर।

तुमने आकर आंख में क्यूँ

नीड़ उनके रख दिये।।

चंद्रमा हो साथ मेरे

यह कभी सोचा नहीं था।

सूर्य पथ में साथ होगा…

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Added by SudhenduOjha on September 2, 2018 at 7:30am — No Comments

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