1222 1222 1222 1222
नहीं है धार कोई भी समय की धार से बढ़कर
नहीं है भार कोई भी समय के भार से बढ़कर
भरे हैं धाव इसने ही बड़े छोटे सदा सब के
नहीं मरहम बड़ा कोई समय के प्यार से बढ़कर
उलझ मत सोच कर बल है भुजाओं में जवानी का
न देगा पीर कोई भी समय की मार से बढ़कर
अगर दोगे समय को मान…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 12, 2015 at 10:40am — 3 Comments
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