For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है मुहब्बत चीज ऐसी (ग़ज़ल ) -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122    2122    2122    2122

राह  में  अवरोध  जितने, ओ!  जमाने  तूँ  लगा  ले
है  मुहब्बत  चीज  ऐसी, रास्ता  फिर  भी  बना  ले


हर जुनूँ  कमतर  है इसको, आग इसकी  कौन रोके
आशिकी  पीछे  हटी  कब, इम्तहाँ  गर  जो खुदा ले 


कैश  की  हर  पीर  लैला,  खीच  लेती  ओर  अपनी
है मुहब्बत को बहुत कम, जुल्म जग जितने बढ़ा ले

इस मुहब्बत की बदौलत, शिव फिरे ले शव सती का
अंध   देखे  रंग  दुनिया, नेह  में  जब  मन  रमा  ले

खत्म  होता प्यार में कब, हसरतों का सिलसिला है
रूठते  ही  मन  करे  है, काश! आकर  वो  मना  ले

है मुहब्बत सास तन की, है मुहब्बत आस मन की
तब मुसाफिर डर रहा क्यों, नेह तूँ भी मन जगा ले

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2014 at 6:37am

आदरणीय भाई अनिल कुमार जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 9:53pm

खत्म  होता प्यार में कब, हसरतों का सिलसिला है रूठते ही मन करे है, काश! आकर वो मना ले

है मुहब्बत सास तन की, है मुहब्बत आस मन की तब मुसाफिर डर रहा क्यों, नेह तूँ भी मन जगा ले.....................बहुत खूब आदरणीय!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 15, 2014 at 12:45pm

आदरणीय भाई आशुतोष जी , आपकी बधाई तहेदिल से स्वीकार ली गयी है . उत्साहवर्धन के लिए आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 15, 2014 at 12:43pm

आदरणीय भाई गिरिराज जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद . आपका और वंदना जी का सुझाव सर आँखों पर . कई बार टंकण की चूक जल्दी से पकड़ में नहीं आती या ध्यान नहीं जा पाता. पर आगे से प्रयास रहेगा की इस तरह की गलती न हो . पुनः हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 15, 2014 at 12:35pm

आदरणीय  वंदना  जी ग़ज़ल कि प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद . साथ ही त्रुटियों की और ध्यान दिलाने के लिए भी धन्यवाद . 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 12:23pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ..कमाल की ग़ज़ल कही है अपने ..इतिहास के पात्रों जोडती हुई मुहब्बत की सर्वोच्चत को इंगित करती इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई अवीकर करें ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 15, 2014 at 7:34am

इस मुहब्बत की बदौलत, शिव फिरे ले शव सती का
अंध   देखे  रंग  दुनिया, नेह  में  जब  मन  रमा  ले --------- आदरणीय लक्ष्मण भाई , इस शे र के लिये और पूरी गज़ल के लिये बधाइयाँ ॥ आदरणीया वन्दना जी के कहे ध्यान दीजियेगा ॥

Comment by vandana on February 15, 2014 at 6:03am
हर जुनूँ कमतर है इसको, आग इसकी कौन रोके
आशिकी पीछे हटी कब, इम्तहाँ गर जो खुदा ले
बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय
मुझे लगता है कि कैश की जगह कैस होना चाहिए और कृपया तूँ को भी तू कर लीजिये
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 15, 2014 at 4:07am

आदरणीय श्याम भाई ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 15, 2014 at 4:06am

आदरणीय मीना बहन , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service