2122 1212 22
खुद ब खुद हो गया जुदा है ये
दिल हमारा तो मनचला है ये
गुम है दिल ये किसी पहेली में
और कई दिन से सिलसिला है ये
ज़िन्दगी का कोई सबूत नहीं
बस धड़कता सा हादसा है ये
बात करता नहीं कुछिक दिन से
" दिल से अपने हमें गिला है ये "
है समन्दर भी ये हरा अब तो
चांद पूनम तो ज़लज़ला है ये
बदहवासी रही है हावी दिल
भागता बेहिसी मरा है ये
आखिरी दांव…
ContinueAdded by Chetan Prakash on October 5, 2022 at 5:30pm — 1 Comment
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