"रमलू की घरवाली कौन हैं ? "
"साब मैं हूँ । "
"हम तेरे पति की मौत पर सरकार की तरफ से मुआवजा देने आये हैं, पढना जानती हैं ? "
"जी नही साब, अनपढ़ हूँ । "
"और कौन -कौन है घर में ? "
"साब मैं, 4 छोरिया 1 बेटो है। रमलू तो मर गयो । ये सारो बोझ मारे ऊपर छोड़ गयो । घर की हालत तो थे देख ही रया हो, खाने के लाले है। साब इतनी सर्दी में भी पहनने को कुछ नही ..." सिसकने लगती है ।
"चल ठीक है, रो मत ये......"
" इक मिनट " बात पूरी भी नही हुई थी की सहायक के कान मेँ वो…
Added by किशन कुमार "आजाद" on November 22, 2014 at 8:30am — 8 Comments
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