आग की तरह के शब्द,
मेरी आत्मा में जलाते है ,
मैं अपने आप को खोया पाता हूँ ,
नियंत्रण, रखना प्रतीत नहीं हो सकता है,
इरादे लटक जाते
फांसी पे एक ध्रुव की ,
और प्यार धुंधला हो जाता है,
आँखों की कालिमा से
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by narendrasinh chauhan on November 24, 2018 at 3:35pm — 5 Comments
मेरी आँखें बंद करो
और इस तरह से
दुनिया को बंद करना
मैं तुम्हें फिर मिलूंगा
तुम शानदार हो
जीवित और ज्वलंत
मेरे सीने से गहरी सांस लेना
मैं तुम्हारी मुस्कान की तस्वीर बना लूँगा
तुम्हारी आंखों के पीछे का नरम प्रकाश
मेरे दिमाग में यादों का मीलो चलना
इच्छा है कि मैं एक चील की तरह झपट के
और तुम्हें उस जगह ले जाऊ
जिस जगह जहां आँसू गिरते थे
जबकि हम आमने-सामने बैठे थे
एक दूसरे के गाल पर हाथ
फुसफुसाते हुए "सब ठीक…
Added by narendrasinh chauhan on November 3, 2018 at 2:30pm — 2 Comments
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