ख़ुशी पहले भी बहुत थी,
Added by Yogyata Mishra on December 29, 2011 at 12:04pm — No Comments
वो तो बड़ा अकेला था,
Added by Yogyata Mishra on December 22, 2011 at 12:45pm — 5 Comments
क्या समझू उसे
जो समझ न आता है
सिर्फ छाता चला जाता है...
दिन का जाना समझू
या दिन का आना
स्थिरता है या अस्थिरता
है एक अनसुलझी पहेली
जिसे कोई समझ न पाता है....
ये तो वो है जो
सिर्फ छाता चला जाता है..
कही तो लेकर आता है
खुशियों की सुबह
और गम का सन्नाटा
कही छा जाता…
Added by Yogyata Mishra on December 21, 2011 at 11:17am — 2 Comments
ज़िन्दगी हमे मोहताज़ नहीं बनाती है,
वो तो बस आईना दिखाती है,
मोहताज़ तो इंसान होता है,
हम ज़िन्दगी का नाम लगा देते है......
वक़्त कुछ ना है,
बस हमारी आत्मा की कमजोरी है....
आत्मा कही कमज़ोर होती है,
हम कहते है वक़्त निकल गया...
ये सिर्फ कहना है हमारा,
ऐसी सोच पर तरस आता है....
हम हाथ पैर वाले होकर
ये स्वीकारते हैं कि,
एक बिना साँस वाला वक़्त
हमे मोहताज़ बनाता ह...
Added by Yogyata Mishra on December 20, 2011 at 1:02pm — 1 Comment
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