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Yogyata Mishra's Blog – December 2011 Archive (4)

आस

ख़ुशी पहले भी बहुत थी,

क़सक थी हर साँस में,
प्रतीक्षा इस  नज़र में थी,
धड़कने थी हर रात में,
कोई आकर के गया,
टीस थी हर याद में,
जाकर आएगा कोई,
जिंदगी बीती इस आस में...
ख़ुशी पहले भी बहुत थी,
आज भी है हर याद में,
कोई जाकर आएगा,
आस थी हर साँस में,
आस है हर याद में....

Added by Yogyata Mishra on December 29, 2011 at 12:04pm — No Comments

अकेला

वो तो बड़ा अकेला था,

उसको सबने लूटा था,
खुशियों की छाव में भी,
उसने गम ही समेटा था,
वो तो बड़ा अकेला था....
हँसी और किलकारी थी
चहु ओर फुलवारी थी,
सभी ओर तो सावन था,
उसने तो मरू ही देखा था,
वो तो बड़ा अकेला था...
हाथों में तो रोटी थी,
जो उसके जैसी रोती थी,
गम की ठंडी हवा में भी,
सुख को उसने जीर्ण चादर लपेटा…
Continue

Added by Yogyata Mishra on December 22, 2011 at 12:45pm — 5 Comments

अँधेरा

क्या समझू उसे

जो समझ न आता है

सिर्फ छाता चला जाता है...

दिन का जाना समझू 

या दिन का आना 

स्थिरता है या अस्थिरता

है एक अनसुलझी पहेली

जिसे कोई समझ न पाता है....

ये तो वो है जो

सिर्फ छाता चला जाता है..

कही तो लेकर आता है 

खुशियों की सुबह

और गम का सन्नाटा 

कही छा जाता…

Continue

Added by Yogyata Mishra on December 21, 2011 at 11:17am — 2 Comments

वक़्त

ज़िन्दगी हमे मोहताज़ नहीं बनाती है,

वो तो बस आईना दिखाती है,

मोहताज़ तो इंसान होता है,

हम ज़िन्दगी का नाम लगा देते है......

वक़्त कुछ ना है,

बस हमारी आत्मा की कमजोरी है....

आत्मा कही कमज़ोर होती है,

हम कहते है वक़्त निकल गया...

ये सिर्फ कहना है हमारा,

ऐसी सोच पर तरस आता है....

हम हाथ पैर वाले होकर

ये स्वीकारते हैं कि,

एक बिना साँस वाला वक़्त

हमे मोहताज़ बनाता ह...

Added by Yogyata Mishra on December 20, 2011 at 1:02pm — 1 Comment

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