For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – December 2024 Archive (4)

नये साल में-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

212 /212/ 212 /212 

*

बच पवन  से  सँभलना  नये  साल में

हमको दीपक सा जलना नये साल में।१।

*

मेट  अन्याय  और  कालिमा  चाहिए

न्याय  विश्वास  फलना  नये  साल में।२।

*

छोड़ना  है  हमें  देश  हित में सहज

नफरतों  से   उबलना  नये  साल में।३।

*

सिर्फ रिश्तों की खातिर भुला द्वेष को

मन से मन तक टहलना नये साल में।४।

*

होगा उन्नत बहुत देश अपना तभी

सब जिएँ छोड़ छलना नये साल में।५।

*

कर रहा…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2024 at 8:56am — No Comments

राम पाना कठिन शेष जीवन में पर -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२/२१२/२१२/२१२

*

जो चले कर्म में सिलसिला राम का

लौट आये सनम काफ़िला राम का।१।

*

एक विनती  करें भोले  शंकर से हम

देश ही क्या जगत हो जिला राम का।२।

*

धन्य जीवन  हमारा  भी होता बहुत

देख लेते अगर मुख खिला राम का।३।

*

जो भी वंचित  सदा  दुख  रहे भोगते

हैं सुखी साथ जिनको मिला राम का।४।

*

दोष मढ़ते  बहुत  वो  अधम राम पर

भेद पाये  नहीं  जो  किला  राम का।५।

*

राम पाना कठिन शेष जीवन में पर…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 29, 2024 at 2:00pm — No Comments

जिन्दगी भर बे-पता रहना -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२

*

जिन्दगी  भर  बे-पता  रहना

हर जुबा पर हाँ लिखा रहना।१।

*

हर तरफ मौसम विषम होंगे

बस कुटज सा तू जगा रहना।२।

*

सन्त बिच्छू की कथा कहती

जात  में  अपनी  बना रहना।३।

*

झूठ चाहे चल रहा जग भर

सत्य मन  तू  बोलता रहना।४।

*

माँ पिता के छिन गये साये

सीख उससे बे-ख़ुदा रहना।५।

*

धीरता  कुछ   सीख  धरती से

हर समय क्या जलजला रहना।६।

*

क्या है करना  बेबफा जग…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2024 at 2:00pm — No Comments

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।

बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।

*

तपते दुख की  धूप  में, जब जीवन के पाँव।

तन-मन तब शीतल करे, राम नाम की छाँव।२।

*

राम नाम की नित सुधा, पीते हैं जो लोग।

सन्तापित  होते  नहीं, चाहे दुख का योग।३।

*

चाहे दाता  राम  पर, मिलता  सब कर कर्म।

जो समझा इस बात को, करता नहीं अधर्म।४।

*

राम नाम का मर्म जो, समझ हुआ निष्काम।

उसको लगती भोर सी, ढलती जीवन शाम।५।

*

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 15, 2024 at 10:57pm — 2 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
23 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service