तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।
बिना राम के नाम के, कुन्दन-हीरा काँच।१।
*
तपते दुख की धूप में, जब जीवन के पाँव।
तन-मन तब शीतल करे, राम नाम की छाँव।२।
*
राम नाम की नित सुधा, पीते हैं जो लोग।
सन्तापित होते नहीं, चाहे दुख का योग।३।
*
चाहे दाता राम पर, मिलता सब कर कर्म।
जो समझा इस बात को, करता नहीं अधर्म।४।
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राम नाम का मर्म जो, समझ हुआ निष्काम।
उसको लगती भोर सी, ढलती जीवन शाम।५।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 15, 2024 at 10:57pm — 1 Comment
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