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Babita choubey shakti's Blog (8)

तराजू (गीत)

चल तौल तराजू रिश्तों को 

कुछ अपने पराये नातो को ...



एक तरफ चढा ले माँ को ही 

सबसे प्यारा ये रिश्ता है 

कचरों के डिब्बों में फिर क्यों 

शिशुओं को फेंका जाता है

चल ...........



एक तरफ भाई और बंधू ले 

फिर जर जमीन पर क्यों झगड़े है 

पैसा धन दौलत पर से  क्यों 

सर अपनों के काटे जाते है

चल .........



एक तरफ जीवन साथी ले 

ये जनम जनम का नाता है

तो तलाक फिर क्यों होते है 

संग रहकर भी दुश्मन बनते है

चल…

Continue

Added by babita choubey shakti on May 16, 2016 at 10:00pm — 3 Comments

महाकाल दर लगो सिहस्थ (आल्हा छंद)

महाकाल दर लगो सिहस्थ है जनमन रहो हर्षाय

उज्जैनी नगरी देखो आज दुल्हनिया सी रही सुहाय

पितृ मिलन खो रेवा आई महाकाल रहे हर्षाय

शिप्रा रानी चरण पखारे., मिलन अनोखा रही कराय

एक और से गोरा रानी, लेय बलैेया नजर उतार

दूजी और गणराज हर्ष के, बहनी को है रहे निहार

कुम्भ मिलन खो सभी देवता सज धज आये खेवनहार

मित्र सुदामा राह तकत है, मित्र मिलन की प्यास जगाये

सांदीपनी घर मनमोहन आये शिक्षा रही यही पे पाय...

ब्रह्म बिष्णु नारद संग, राधे संग श्याम सरकार

सियाराम…

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Added by babita choubey shakti on May 16, 2016 at 9:30pm — 4 Comments

लघुकथा " घात"

"घात"



"" अरे तु चल मेरे साथ दो हाथ जमा उंगा तो सब कबूल देगा कमीना। रात दिन भैया ,भैया करता रहा और हमसे ही इतनी बड़ी गद्दारी। "" मोहन जैसे आगबबूला हुए जा रहा था।

""नहीं ,नहीं एकदम से कैसे कहेगें ,हमारे पास कोई सबूत गवाह भी तो नहीं है। "" रीमा ने रुआंसी आवाज में कहा !



"अरे क्या सबूत क्या गवाह तुझे विश्वास है ना ये उसी ने किया है तो फिर । "" अरे पुलिस के चार डण्डे पडेगें ना तो सब कबूल लेगा। अरे तुम्हारी सारी कमाई ले गया ! ""

" पुलिस नहीं नहीं पुलिस को मत कहो ! यदि… Continue

Added by babita choubey shakti on July 30, 2015 at 6:49am — 3 Comments

गीत तौल

तराजू (गीत)





चल तौल तराजू रिश्तों को

कुछ अपने पराये नातो को ...



एक तरफ चढा ले माँ को ही

सबसे प्यारा ये रिश्ता है

कचरों के डिब्बों में फिर क्यों

शिशुओं को फेंका जाता है



चल ...........



एक तरफ भाई और बंधू ले

फिर जर जमीन पर क्यों झगड़े है

पैसा धन दौलत पर से क्यों

सर अपनों के काटे जाते है



चल .........



एक तरफ जीवन साथी ले

ये जनम जनम का नाता है

तो तलाक फिर क्यों होते है

संग रहकर भी… Continue

Added by babita choubey shakti on July 15, 2015 at 4:18pm — 2 Comments

कविता हे राम

प्रार्थना
अधरों पर रखकर बंशी कब तक खड़े रहोगे
कलियुग पर शुभदृष्टि कब तुम हरि करोगे
संगीत साधना है कहते है जहां बासी
कब तक ये ज्ञान लोगे कब तक स्वर ये पड़ोगे
हम तो पलक बिछाये बैठे है युगों से
कब नजर पड़ेगी कब तक कृपा
करोगे
हमने बहुत सुनी है उद्धारो की कथायें
कलियुग में कोई कहानी कब तक प्रभु
रचोगे
हम पर नजर बिहारी कब तलक तुम करोगे
विश्वास की परीक्षा अब न लो मेरी मोहन
कदम बहक रहे है कब तक न तुम सुनोगे
शक्ति मौलिक व् अप्रकाशित

Added by babita choubey shakti on May 30, 2015 at 11:56am — 8 Comments

परित्यक्ता लघुकथा

"रामकली कँहा जा रही है ? "
"अरे !जिज्जी कहूँ नई इताइ आ जा र्इ हो।"
"काय री रामकली जो माथों सुनो तोहरी बिंदी कहा गई री ?और मांग भी सुनी है?"
"अरे सपरो हतो सो गिर गई हुहे"।
" हे राम !जा जिज्जी तो और अबै सबरो भेद खुल जातो ।हम तो पेंशन लाने जो सब कर रहे हते।का होत है दो पल सुहाग छुड़ा के सरकार से पैसा लेबे में।"
और रामकली पति के साथ होते हुए भी सरकारी परित्यक्ता की पेंशन लेने चली जाती है।

बबिता चौबे शक्ति
मौलिक व् अप्रकाशित

Added by babita choubey shakti on May 26, 2015 at 3:00pm — 10 Comments

पहचान लघुकथा

पहचान

"दादू दादू क्या कर रहे हो ।"

"कुछ नही बेटा झंडा सिल रहा हूँ।"

इतने सारे ?

"हाँ बेटा परसो 15 अगस्त है न सिलकर देना है।"

"क्यों दादू? इतने झंडे का क्या करेंगे वो !"

" बेटा !!स्कूल कॉलेज और सभी जगह लहराएंगे ।"

ओह !"और ये काला निशान क्या है?"

ओहो !!"बेटा बैठ मेरे पास सब बताता हूँ ।"

"ये हरा कपड़ा है न, इसका मतलब होता है हरयाली ,दूसरा है सफ़ेद इसका मतलब है पवित्रता, तीसरा है केसरिया इसका मतलब है शौर्य, और ये काला निशान अशोक चक्र है।यह झंडा भारत की… Continue

Added by babita choubey shakti on May 17, 2015 at 5:54pm — 3 Comments

पार्टी (लघुकथा)

पार्टी में दुल्हन को गहने से सजी देखते ही बस देखते ही रह गया । उसके देह पर सजे गहने मानो एक एक कर कह उठे कि मुझसे ही दुल्हन की खूबसूरती है । हर श्रंगार की बस्तु मुझसे बात कर रही थी कि अचानक कुछ खुसुर पुसुर हुई । मेरा ध्यान भंग हुआ ।

"क्या हुआ शर्माइन जी ? "

"कुछ नही रे ..! ये लड़का पागल है । सुंदरता के चक्कर में पड़ गया रे.! ये लड़की तीन घरोँ को बर्बाद करके आई है इसकी ये चौथी शादी है। अब न जाने यहाँ क्या गुल खिलायेगी ! "

"ओहो क्या ....?"

मैने पुनः उन सभी जेवरों से कहा…

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Added by babita choubey shakti on May 12, 2015 at 1:00pm — 5 Comments

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"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

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