For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मयख़ाने आ गया हूँ ज़माने को छोड़कर (९६ )

(221 2121 1221 212 )

.

मयख़ाने आ गया हूँ ज़माने को छोड़कर

मत बैठ साक़ी आज यूँ रुख़ अपना मोड़कर

**

आँखों से अब पिला कि दे जाम-ए-शराब तू

साक़ी सुबू में डाल दे ग़म को निचोड़कर

**

वक़्ते-क़ज़ा अगर यहीं रहने हैं ज़र-ज़मीँ

पी लूँ ज़रा सी क्या करूँ दौलत को जोड़ कर

**

कोई कभी शिकस्त मुझे दे न पाएगा

बादा-कशी में यार तू मुझसे न होड़ कर

**

पीकर ज़रा कहासुनी मामूली बात है

मय के लिए न जाइये रिश्तों को तोड़ कर

**

उस पर लगानी चाहिए बंदिश जहाँ में जो

पीता शराब तिफ़्ल की गुल्लक को फोड़ कर

**

अब तक समझ न आई मुझे इक ज़रा सी बात

आते हैं लोग किसलिए मैखाने दौड़ कर

**

महॅंगी है की शराब उन्होंने ही जो कभी

रखते थे नाक और भौं इससे सिकोड़ कर

**

पीर-ए-मुग़ाँ वबा ने किया हाल है ख़राब

गाहक 'तुरंत'आ रहे बुर्के को ओढ़कर

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 8, 2020 at 3:35pm

भाई साहेब TEJ VEER SINGH  जी , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रिया | 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2020 at 12:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय जी गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी जी ।बहुत बढ़िया गज़ल।।

कोई कभी शिकस्त मुझे दे न पाएगा

बादा-कशी में यार तू मुझसे न होड़ कर

**

पीकर ज़रा कहासुनी मामूली बात है

मय के लिए न जाइये रिश्तों को तोड़ कर

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 6, 2020 at 10:51pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रिया |  ओह , मैंने ज़माना का लघु ज़माँ देखकर पैमाना का लघु पैमाँ कर दिया | पैमान कोई शब्द है मुझे पता नहीं था | सही करता हूँ सर | 

Comment by Samar kabeer on May 6, 2020 at 8:16pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'पैमाँ में साक़ी डाल दे ग़म को निचोड़कर'

इस मिसरे में शायद आपने 'पैमाँ' 

का अर्थ पैमाने से लिया है,जबकि इसका अर्थ है,अह्द,वादा,शर्त वग़ैरह,देखियेगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 6, 2020 at 4:25pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी ,  खाकसार का कलाम पसन्द करने और हौसला आफजाई का बेहद शुक्रिया

Comment by नाथ सोनांचली on May 6, 2020 at 6:16am

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने। पढ़कर अच्छा लगा। 

मतला भी बेहतरीन। बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
55 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service