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संकट दूर कभी होता है संकट संकट कहने से क्या ?(९५)

एक गीत
===========
संकट दूर कभी होता है
संकट संकट कहने से क्या ?
त्राण मिलेगा तभी आप यदि
समाधान ढूंढें संकट का |
**
जीवन में खुशियाँ यदि हैं तो, संकट का भी तय है आना |
गिरगिट जैसे रंग बदलकर ,रूप दिखाता है यह नाना |
धीरज रखकर हिम्मत रखकर , इससे मानव लड़ सकता है
ख़ुद पर संयम रखने से ही , तय होगा संकट का जाना |
पूरा जोर लगा दें अपना , हम भारत के लोग अगर तो
हर संकट को दूर भगाना,
काम नहीं ज्यादा झंझट का |
**
त्राण मिलेगा तभी आप यदि.....
**
भौतिक सुख से क्षीण हुई है, संकट से लड़ने की क्षमता |
लोग बाँटते जाति धर्म में , इसीलिये संकट में समता |
संकट में रक्षा बंधन है , आज वसीयत के नियमों से
दीन हीन की रहती आई, जग भर में संकट में ममता |
मानव का मानव के प्रति भी,दृष्टिकोण बदला बदला है
संकट से है अगर उबरना
त्याग जरूरी घबराहट का |
**
त्राण मिलेगा तभी आप यदि.....
**
पैसे का संकट पैसे से ,एक दिवस हो जाता है हल |
मगर भावनाओं का संकट,रिश्तों का जाँचा करता बल|
रोग शोक का संकट अक्सर,वक़्त मिटा देता है लेकिन
अपनों को खोने का संकट, हमें सालता रहता हर पल |
बुद्धिमता तो इसमें ही है, पा लें पार हरिक संकट से
होता लेकिन काम बड़ा ही
संकट से लड़ना जीवट का |
**
त्राण मिलेगा तभी आप यदि.....
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by नाथ सोनांचली on May 5, 2020 at 2:26pm

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन।

व्यक्तिगत रूप से मैं इस बात का पक्षधर नहीं हूँ कि कोई मेरी रचना पर प्रतिक्रिया दे तभी मैं अन्य की रचना पर प्रतिक्रिया दूँ ।

यह आपकी प्रतिक्रिया है। मैंने ऐसा कब कहा आदरणीय। मैंने तो बस एक निवेदन किया कि आप मेरी रचनाएँ भी पढ़ते और प्रतिक्रिया देते तो और कुछ सुझाव देते तो मुझे भी अपनी रचना को देखने मे सुविधा होती। आदर्णीय समर साहब के लिए तो मैं भी लालायित रहता हूँ कि वे कम से कम एक बार मेरी रचना देख लें तो धन्य हो जाऊं। और निर्विवाद रूप से आदणीय समर साहब लगभग हर रचना पर अपनी उपस्थिति और प्रतिक्रिया से सुशोभित भी करते हैं। चूँकि आपकी ग़ज़लें व्यक्तिगत रूप से मुझे अच्छी लगती हैं अतएव मुझे ऐसा लगता है कि आप की नजर भीरचनाओं के परिष्करण में सहयोग दे सकती है। सादर

मेरी प्रतिक्रिया से अगर आपको ठेस पहुँची हो तो सादर क्षमा।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 5, 2020 at 8:36am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी , आपको गीत पसंद आया , आपके उत्साहवर्धन के लिए आभार | जहां तक अन्य लोगों की रचनाओं पर प्रतिक्रिया का सवाल है , ऐसा नहीं है कि मैं किसी की रचना पर प्रतिक्रिया नहीं देता ,जो पढता हूँ ,उस पर प्रतिक्रिया भी अवश्य देता हूँ | व्यक्तिगत रूप से मैं इस बात का पक्षधर नहीं हूँ कि कोई मेरी रचना पर प्रतिक्रिया दे तभी मैं अन्य की रचना पर प्रतिक्रिया दूँ | रचनाकार बड़ा या छोटा नहीं होता | मुझे भी सृजन कर्म करते हुए केवल चार साल ही हुए हैं ,सब कुछ इन्हीं चार सालों में सीखा है | यहाँ कोई मेरी रचना पर प्रतिक्रिया दे या नहीं यह उसका व्यक्तिगत निर्णय है ,मैं केवल आदरणीय समर कबीर साहेब से इस्लाह हेतु यहाँ रचनाएँ पोस्ट करता हूँ | उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | आपकी रचनाओं पर उपस्थित नहीं हो पाया उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ | 

Comment by नाथ सोनांचली on May 5, 2020 at 7:43am

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। अच्छा गीत लिखा है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।

एक निवेदन है कि आप दूसरों की भी रचनाओ का अवलोकन कर उड़े भी आशीष दें। जैसा आपने बताया कि आप इस समय सेवा निवृत्त हो चुके हैं। आपके सुखमय जीवन की कामना करता हूँ। मैंने अपनी किसी भी रचना पर आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं पाई। आखिर यह कंजूसी क्यों? आप बड़े हैं, हम लोग भी इस आशा में रहते हैं कि बड़े पढ़ेंगे और अपना आशीष देंगे। सोचियेगा सादर

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 4, 2020 at 7:25pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी , 

आपकी पसंद प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन के लिए अंतस से आभार संग नमन |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 4, 2020 at 6:47pm

आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । उम्दा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 4, 2020 at 3:36pm

आदरणीय Samar kabeer  साहेब , आपके आशीर्वचनों के लिए बहुत बहुत आभार एवं नमन | 

Comment by Samar kabeer on May 4, 2020 at 2:56pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, अच्छा गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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