For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौसम त्योहार का ओर तुम

हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो 

मुझ से तो तुम बस सहयोग ही करो 

मानव जनम मिला है तत्सम आचरण करो  

हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो 

प्रेरणा न बन सको तो कोई फरक नही
लेकिन किसी सन्मार्ग में कंटक तो न बनो
हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो 

मै आज हूँ बस आज और अभी
गुजरे हुये पलो  से मेरी तुलना तो न करो 

भविष्य से मेरा कोई सम्बन्ध है कहा 

वर्तमान को ही मैंने जीवन कहा 

हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो 

मुझ से तो तुम बस सहयोग ही करो 

मानव जनम मिला है तत्सम आचरण करो

एकल जुगत एकल जगत एकल ही आवागमन 

ये भीड़ जो है दिख रही इसको बस मृग मरीचिका गहो

मुझ से तो तुम बस सहयोग ही करो 

मानव जनम मिला है तत्सम आचरण करो

नवसर्ग नवप्राण नवउद्यम रचो  

हरपल नव  सृजन के प्रणेता बनो 

मुझ से तो तुम बस सहयोग ही करो 

मानव जनम मिला है तत्सम आचरण करो
हठ धर्मिता तुम्हारी तुम ही धरो  

.

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 22, 2020 at 12:29pm

आदरणीय चेतन जी ने बिलकुल सही सलाह दी है...अच्छा पढ़ेंगे सुधार अपने आप आ जायेगा।

Comment by Chetan Prakash on November 20, 2020 at 5:36am

  

भाई, डाॅ अरण कुमार शास्त्री, आपकी कविता अथवा काव्य- लेखन इस्लाह से नही, मुक्त छंद अथवा अतुकांत कविता के अच्छे काव्य के अध्ययन से सुधर सकता है। उदाहरण के लिए अंग्रेजी मे टी. एस एलिएट, हिन्दवी ( हिन्दुस्तानी, उर्दू ) में कैफी आज़मी, साहिर लुधियानवी, और हिन्दी काव्य में महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, हीरानंद सच्चिदानंद वात्साययन अज्ञेय, धूमल, बाबा नागार्जुन, मुक्तिबोध और गोपाल दास नीरज का अध्ययन कीजिए, आप स्वयं समझ जाएंगे मेरा सुझाव आपके लिए कितना उपयोगी है।

Comment by DR ARUN KUMAR SHASTRI on November 19, 2020 at 1:26pm

परम आदरणीय समर साहेब आभार , आ . चेतन जी की प्रतिक्रिया को आपने सहमती  दी , धन्यवाद , लेकिन संशोधन व सुधार करने का रास्ता तो आपसे ही सीख सकूंगा न // हे अग्रज ! आशा है तत्सम - असीस मिलेगा ! ओइम ओइम !!   

Comment by DR ARUN KUMAR SHASTRI on November 19, 2020 at 1:21pm

आ ० चेतन जी सादर प्रणाम , आपकी प्रतिक्रिया हेतू आभार - कृपया इसमें सुधार व संशोधन का उपाय भी देते तो ?

मै तो एक अपरिपक्क्व लेखक हूँ , आपके वचनो से राहत मिली //  

Comment by Samar kabeer on November 18, 2020 at 7:07pm

जनाब डॉ. अरुण कुमार शास्त्री जी आदाब, रचना पर बधाई ।

जनाब चेतन प्रकाश जी से सहमत हूँ ।

Comment by Chetan Prakash on November 18, 2020 at 6:53am

डाॅ अरुण कुमार शास्त्री, शुभ प्रभात ! कविता की भाषा असंयमित प्रतीत हुई। और, कदाचित, एकरूपता का अभाव भी भाषा मे जान पड़ा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service