For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ढूँढा सिर्फ निवाला उसने - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२/२२/२२/२२


तोड़ के घर का ताला उसने
ढूँढा सिर्फ निवाला उसने।१।
*
लत पीने की ऐसी लगायी
बेच दी माँ की माला उसने।२।
*
खुद औरों के कन्धे पर चढ़
कहता बोझ सँभाला उसने।३।
*
दूध पिलाना था बच्चों को
पर नागों को पाला उसने।४।
*
जिसको हमने माना सूरज
रोका नित्य उजाला उसने।५।
*
जिसको सब खोटा कहते हैं
सिक्का वही उछाला उसने।६।
*
अपनों को ही चोट है मारी
फेंका जब जब भाला उसने।७।
*
कर डाला पर के चक्कर में
मुख अपना ही काला उसने।८।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 1049

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 30, 2021 at 9:41am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई जी आदाब, सर्व विदित है कि 'पर' को but, on, at, upon व पंख के लिए पूर्ण शब्द के रूप में प्रयोग आम है लेकिन यहाँ 'पर' को पूर्व सर्ग बताने का मेरा आश्य आपके मिसरे '(कर डाला पर के चक्कर में)' से है, जहाँ आप ने 'पर' को पराए लोगों या ग़ैर अफ़राद के लिए लिया है, के सन्दर्भ में था। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 6:07am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह व सलाह के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2021 at 6:06am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति के लिए आभार।

व्यकरणाचार्यों व भाषाविदों के अनुसार हिन्दी में पर महज एक उपसर्ग मात्र नहीं है । यह भिन्न अर्थों में प्रयुक्त होने वाला पूर्ण शब्द भी है । इसका दूसरों के अर्थ में स्वतंत्र उपयोग हिन्ददी में पूर्णतः उचित है । अलंकारिक छटा में भी इसका उपयोग देखा जा सकता है -

 ......पर मेरे समझाने पर,
पर के पर काटे फिर उसने।

हाँ उर्दू के हिसाब से मुझे इस संदर्भ में जानकारी नहीं है । सादर..

Comment by Samar kabeer on January 29, 2021 at 8:36pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'कर डाला पर के चक्कर में'

इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कर लें:-

'ग़ैर के चक्कर में कर डाला'

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 28, 2021 at 1:47pm

//आठवें शेर में पर का अर्थ दूसरों से है । //

जनाब लक्ष्मण धामी भाई जी, 'पर' शब्द को हिन्दी भाषा में 'दूसरों' के अर्थ में अकेले कैसे ले सकते हैं जबकि 'पर' स्वयं में पूर्ण शब्द न होकर पूर्व सर्ग है, जैसे कि पर पीड़ा, पर पुरूष इत्यादि ? यदि ऐसा नहीं है तो कोई उदाहरण प्रस्तुत करें जिससे कि मुझ सहित दूसरे सीखने वालों का ज्ञानार्जन हो सके। सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 25, 2021 at 2:27pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई 'मुसाफ़िर' जी आदाब, सहवन बग़ैर तख़ल्लुस मक़्ते की जगह मतला टाईप हो गया है, माज़रत ख़्वाह हूँ। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2021 at 11:40pm

आठवें शेर में पर का अर्थ दूसरों से है । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2021 at 11:39pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद। आपने गजल को मतले के बगैर बताया है । मेरे हिसाब से पहला शेर मतला ही है । शेष गुणीजनों की राय की प्रतीक्षा है । 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 24, 2021 at 10:15am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई 'मुसाफ़िर' जी आदाब, मतले के बग़ैर  बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ शे'र नं. 1ता 5 व 7 उम्दा हुए हैं मगर.           जिसको सब खोटा कहते हैं

                     सिक्का वही उछाला उसने।६।   इस शे'र का भाव और स्पष्ट करने की कोशिश कर सकते हैं -

जब सिक्का खोटा था फिर क्यूँ

मुझ पर वो ही उछाला उसने          आठवें शे'र में 'पर' का का भावार्थ नहीं समझ सका हूँ।  सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2021 at 5:01am

आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह व उत्तसाहवर्धन के लिए आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service