For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (मसनदों पर आज बैठे हो नहीं बैठोगे कल)

2122  -  2122  -  2122  -  212 
फ़ाइलातुन-फ़ाइलातुन-फ़ाइलातुन-फ़ाइलुन
(बह्र- रमल मुसम्मन् महज़ूफ़)


मसनदों  पर  आज  बैठे  हो  नहीं  बैठोगे  कल
फ़र्श  पर आ जाओ वैसे  भी यहीं  बैठोगे  कल

देना  होगा  पूरा-पूरा  साहिबो  तुमको   हिसाब
रू-ब-रू नज़रें  मिलाकर  यूँ  नहीं  बैठोगे  कल

आज तुम हो होगा कल हाकिम ज़माना देखना
जाग उट्ठा है बशर अब  छुप कहीं  बैठोगे  कल

इल्म की इस शाख़ से गर उड़ चले हो आज तुम
हो  जिहालत का अँधेरा  जाँ  वहीं  बैठोगे कल

आज नीरो बन के जैसे  कर दिया है ख़ाक सब
चैन  की  बंसी  बजाकर  यूँ  नहीं  बैठोगे  कल

इल्म के जिस पेड़ को तुम काटने पर हो बज़िद 

छाँव में  इसकी  बसेरा  कर  यहीं  बैठोगे  कल

हमने  ही  तुमको  बिठाया था वहाँ  आकाश में
फ़ैसला  अब ये  लिया  है तुम नहीं  बैठोगे कल

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 12, 2021 at 9:12am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया।  सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 11, 2021 at 6:47am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 8, 2021 at 6:10pm

कैसी बहस आदरणीय, आपसे तो शायद ही कोई बहस करना चाहेगा। मुझे तो मुआफ़ ही कर दें। सादर। 

Comment by Chetan Prakash on July 8, 2021 at 4:43pm

आदाब, जनाब, जब जवाब यही होना था तो मरहूम शाइर साहब को बेवज़ह बहस में लाये  ! 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 8, 2021 at 11:05am

आपकी मनोहारी समीक्षा 'इसे क्या कहा जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा' के लिए आभार। सादर। 

Comment by Chetan Prakash on July 8, 2021 at 10:06am

शुभ प्रभात, प्रस्तुत रचना ओ बी ओ के पटल पर हुई है, मुख्य सम्पादक महोदय ने

स्वीकृति दी है तो ज़ाहिर है, समीक्षा तो बनतीहै, प्रभु! मैंने वही किया है! लेकिन रचनकार, सर्जक होता है, सो उससेे बेहथर कौन जानता है, वह क्या कर रहा है? 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 8, 2021 at 9:41am

जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, रचना बह्र में है और आपको इस लायक़ लगी कि इस पर अपनी हाज़िरी देने से आप ख़ुद को रोक नहीं सके, तो कुछ तो है इस रचना में, आप जैसे काव्य के प्रकाण्ड पंडित को कौन बता सकता है कि ये क्या है, ये तो आप ही बता सकते हैं महाराज!

जैसा कि जिगर मुरादाबादी ने भी कहा है - 

"दिल रख दिया है सामने लाकर ख़ुलूस से - अब आगे इसके काम तुम्हारी नज़र का है"    सादर।

Comment by Chetan Prakash on July 8, 2021 at 9:08am

 आदाब! रचना, बह्र में है, परन्तु इसे क्या कहा जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा, अमीर साहब?! कृपया मार्ग-दर्शन करें! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service