For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सदफ़ के गौहर

वज़्न-2122 1122 1122 22/112

 

अज़्म से जो भी समेटेगा हदफ़* के गौहर                                             [ हदफ़ - लक्ष्य
ज़िंदगी में वही पाएगा शरफ़* के गौहर                                                [ शरफ़ - सम्मान 

 

इश्क़ है उनको भी हमसे ये हमें है मालूम
हमने देखे हैं उन आँखों में शग़फ़* के गौहर                                           [शग़फ़ - दिलचस्पी

  

हाथ में हाथ ले तुमने जो उठाए थे कभी
मेरे दिल में हैं अभी तक वो हलफ़* के गौहर                                          [हलफ़ - क़सम

 

तुमने दरिया के किनारे जो दिए थे मुझको
अब भी महफ़ूज़ हैं वो सारे ख़ज़फ़* के गौहर                                          [ख़ज़फ़ - पत्थर के टुकड़े

 

वस्ल के लब पे तबस्सुम की ज़िया देखी तो
कितने बेनूर हुए थे वो सदफ़* के गौहर                                                  [सदफ़ - सीप 

 

सादगी इल्म हुनर अज़्म उमीद और हिम्मत
हमने रक्खे हैं क़रीने से सलफ़* के गौहर                                                [सलफ़ - बुज़ुर्ग 

 

’आरज़ू' एक ही ताउम्र बशर ने की है
होश के साथ सलामत रहें दफ़* के गौहर                                                [दफ़ - तेज़ी, जोश

 

 

-©अंजुमन 'आरज़ू'✍️ 

 

(स्वरचित एवं अप्रकाशित)

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2021 at 7:30pm

आदाब।.बढ़िया ग़ज़ल के साथ आग़ाज़ हेतु मुबारकबाद।। कठिन शब्दों के म'आनी सबसे अंत में लिखना बेहतर लगेगा शे'अर का नंबर लिखते हुए।

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 13, 2021 at 5:50pm

आदरणीय नाथ सोलंकी जी सादर नमन, हार्दिक आभार कि आपने मेरा इस्तकबाल किया और ग़ज़ल पसंद की, कुछ कठिन शब्दों के म'आनी लिखे तो  है मैंने, सादर

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2021 at 4:04pm

आद0 अंजुमन "आरजू" जी सादर अभिवादन।

ओ बी ओ पर आपका स्वागत है। बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। कठिन शब्दों के मआनी लिख देने से हम जैसे लोगों को अशआर समझने में आसानी होगी

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 12, 2021 at 5:33pm

आदरणीय सौरभ पांडे जी आदाब
ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया
जी, पटल पर नई हूं और अभी इसे ऑपरेट करना सीख रही हूं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 12, 2021 at 5:24pm

आदरणीया अंजुमन आरज़ू जी,

आपका इस पटल पर स्वागत है. आपने कठिन शब्दों के काफिये पर ग़ज़ल निभाने की कोशिश की है और कामयाब भी रही हैं. दाद स्वीकार करें. 
 
सादगी इल्म हुनर अज़्म उमीद और हिम्मत
हमने रक्खे हैं क़रीने से सलफ़* के गौहर ..   ... . बहुत खूब ! 

शुभ-शुभ

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 10, 2021 at 11:17am
मुहतरम dandpani nahaj जी, मुहतरम लक्ष्मण धानी मुसाफिर जी, मुहतरम बृजेश कुमार ब्रज जी ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई करने के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 10, 2021 at 9:39am

बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीया...बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 9, 2021 at 8:35am

आ. अंजुमन जी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 2, 2021 at 9:05am
  1. जनाब अमीरुद्दीन अमीर साहब आदाब, ग़ज़ल की पज़ीराइ के लिए तहे दिल से शुक्रिया, जहां तक म'आनी की बात है तो इस प्लेटफार्म पर यह मेरी पहली प्रस्तुति है, इसे ऑपरेट करने में मुझे अभी थोड़ी दिक्कत हो रही है, इसलिए यह ग़लती हुई, एमएस ऑफिस में मिस्रा ख़त्म होने के बाद काफ़ी स्पेस देकर मैंने म'आनी लिखे थे, जैसे किताबों में होते हैं, लेकिन यहां आकर सारे स्पेस ख़त्म हो गए, मैंने एडिट करने की कोशिश भी की लेकिन हो नहीं सका । अभी फिर से कोशिश करती हूं, अगली ग़ज़ल में यह ग़लती नहीं होगी, बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 2, 2021 at 8:56am

उस्ताद मुहतरम समर कबीर साहब आदाब, आपकी नवाज़िशों का तहे दिल से शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
12 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
15 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service