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एक दुआ
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वोह उम्र के उस रुपहले दौर से
गुज़र रही है
जब दिन सोने के और
रातें चांदी सी
नज़र आती हैं
जब जी चाहता है
आँचल में समेट ले तारे
बहारों से बटोर ले रंग सारे
जब आईने में खुद को निहार
आता है गालों पर
सिंदूरी गुलाब सा निखार
और खुद पर ही गरूर हो जाता है
जब सतरंगी सपनों की दुनिया मे खोये
इंसान खुद से ही बेखबर नज़र आता है
जब तितली सी शोख उड़ान लिए
बगिया में इतराने को जी चाहता है
जब पतंग सी पुलकित उमंग लिए
आकाश नापने को जी चाहता है
जब मन की छोटी से छोटी बात
बताई जाती है सहेली को
जब महसूस होता है,सुलझा सकते हैं
जीवन की हर पहेली को

पर वोह मासूम नहीं जानती
कितनी नादान है वोह
डोर किसी हाथ में थामे बिना पतंग उढ़ नहीं सकती
तितले भी बगिया में बेखौफ घूम नहीं सकती
धूमिल हो जाती है सतरंगी इन्द्रधनुषी छवि भी
सिर्फ पैदा करते हैं खुद के जज़्बात
सुनहले दिन और रुपहले तारों भरी रात

या खुदा!उसकी मासूमियत यूं हो बनाये रखना
ज़िन्दगी में आशा के दीप जलाये रखना
सतरंगी सपनों का संसार न बिखरे कभी
उसके जीवन में बहारों के रंग सजाये रखना

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Comment

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Comment by Dr Nutan on September 4, 2010 at 4:25pm
bahut sundar rachnaa hai ye .ashirvaad hai .. bahut khoob...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 1, 2010 at 11:59pm
ऐसे ही आते हैं स्वप्न..
खिलते हुए फूल,
उड़ती हैं तितलियाँ
फिर अचानक चुभते हैं शूल..

मगर, ये शूल जीवन की मर्यादा हैं. इनका होना नए फूलों की अस्मिता है.
नन्हीं नवीन मुस्कानों का आना पहली का स्थान ग्रहण करना है..
रचना की गंध को अभिनन्दन.
Comment by विवेक मिश्र on July 9, 2010 at 5:26pm
इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई.
Comment by Kanchan Pandey on July 8, 2010 at 11:51am
पर वोह मासूम नहीं जानती
कितनी नादान है वोह
डोर किसी हाथ में थामे बिना पतंग उढ़ नहीं सकती,

Bahut hi sunder kavita, kaafi umdda sandesh hai, thx.
Comment by Prabhakar Pandey on July 8, 2010 at 11:08am
उत्कृष्ट रचना। सादर आभार।।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 8, 2010 at 8:23am
या खुदा!उसकी मासूमियत यूं हो बनाये रखना
ज़िन्दगी में आशा के दीप जलाये रखना,

बहुत ही सुंदर रचना है रजनी दीदी , आप ने उम्र के जिस पड़ाव का जिक्र किया है वो शायद जिन्दगी के सबसे खुबसूरत पड़ाव होते है, जिसमे भोला मन सुनहले सपने देखता है और सब कुछ पा लेने की चेष्टा , बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति , बधाई स्वीकार करे दीदी,

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