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कामनाएँ
साल दर साल रैन बसेरा के साथ मत दो
बस एक ख्याल ही अपना आने दो ।

गगन के विस्तार सा आयाम मत दो
बस एक कोने में सिमटा सूर्य बन रहने दो ।

सावन की हरियाली सा संजीवनी अहसास मत दो
बस एक अमलतास बन मुस्काने दो ।

सर्द रातों में बाहों के घेरे का जकड़न मत दो
बस टिकने के लिए कंधे का सहारा दे दो ।

आँखों में बंद ख्वाबों का आसरा मत दो
बस अपनी एक बेचैन पल का हवाला दे दो ।

दूब की मखमली चादर पर साथ न चलने दो
बस ओस की एक बूँद बन गिर जाने दो ।

अपनी दूरियों के उन घंटों का हिसाब मत दो
बस मुझे तन्हाई में जीने के कुछ मंत्र दे दो ।

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 3, 2012 at 11:18pm

अपनी दूरियों के उन घंटों का हिसाब मत दो 
बस मुझे तन्हाई में जीने के कुछ मंत्र दे दो ।

great , badhai.

Comment by kavita vikas on February 2, 2012 at 6:12pm

Rajesh kumari ji  and neeraj ji ,thank you for encouraging me through your appreciating words.i shall be grateful to you.


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Comment by rajesh kumari on February 2, 2012 at 8:18am

bahut bhaav poorn rachna kavita ji.

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