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उदास नहीं देख सकता

स्याह रातों में चाँद का गिलास नहीं देख सकता
उखड़ी उखड़ी आवाज़ तेरी, बोझल सांस नहीं देख सकता
.
तेरे माथे पर कोई दोष न होगा कभी ,
तुझे मजबूर, बद -हवास नहीं देख सकता
.
हाँ , तेरी रुसवाई तो फिर भी सह लूँगा ,
तुझे खुद से नाराज़, उदास नहीं देख सकता
.
मेरी रूह में घुल गयी है मधु तेरी रहमत की
क्या हुआ कि रहूँ तनहा, तुझे आस पास नहीं देख सकता
.
हैं अजीब हालात, मगर तेरे कदम न रुकें
तुझे बिखरा हुआ सा, उजास नहीं देख सकता

Views: 951

Comment

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Comment by Nilansh on May 17, 2012 at 9:39pm

aapke sneh ka bahut aadar  surya ji,main koshish karunga rachnaao me aur sudhaar karne ki

aapka shukriya 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 17, 2012 at 12:18am

नीलांश जी सुंदर भाव समेटे हुए  अच्छी कोशिश है। बस मिशरे थोड़ा छोटे बड़े हैं....अगर रचना  को बहर में कर लें तो बहुत अच्छी ग़ज़ल होगी .....कोशिश करें । आपके पास फिक्र बहुत ऊंची है !! बधाई हो !

Comment by Nilansh on May 14, 2012 at 9:41pm

aapke sneh ka aabhaari hoon surendra ji

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 13, 2012 at 10:51pm

हाँ , तेरी रुसवाई तो फिर भी सह लूँगा , 

तुझे खुद से नाराज़, उदास नहीं देख सकता 

.नीलांश जी बहुत अच्छी गजल ..सुन्दर भाव .प्रेम के  रंग होते ही ऐसे हैं ...भ्रमर ५ 

मेरी रूह में घुल गयी है मधु तेरी रहमत की 

क्या हुआ कि रहूँ तनहा, तुझे आस पास नहीं देख सकता 


Comment by Nilansh on May 13, 2012 at 9:36pm

ji punah dhanyvaad


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2012 at 9:27pm

जी नीलांश जी, प्रस्तुत रचना काफिया रदीफ़ स्तर पर ठीक है, बहर पर ध्यान दे, बाकी सब मस्त मस्त :-)

Comment by Nilansh on May 13, 2012 at 9:08pm

ganesh ji  aaapka bahut  aabhaar ,

wazan ki jaankaari utni nahi hai ,

bas jaanta hoon ki bahr me rahna chahiye aur wazan me bhi aur khyaal hi use poorn ghazal banaate hain

yahan ghazal kaksha me main abhi sikh raha hoon 

koshish karunga ise aur sanwaarne ki

aapka poonah aabhaar

apne comments dete rahiye


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2012 at 8:52pm

नीलांश जी सुन्दर ख्याल है , यह ग़ज़ल किस वजन पर है जरा बताना चाहेंगे | 

Comment by Roshni Dhir on May 13, 2012 at 6:42pm

हाँ , तेरी रुसवाई तो फिर भी सह लूँगा , 
तुझे खुद से नाराज़, उदास नहीं देख सकता 

बहुत सुंदर लिखा अपने नीलांश जी 

Comment by Nilansh on May 13, 2012 at 5:34pm

bahut aabhaari hoon sabhi  badon ka

pradeep ji ,ajay ji,mahima ji aapke sneh ke liye aabhaar.

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