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तुम भीतर तक भर जाओगे बाबाजी

मेहनत से यदि डर जाओगे बाबाजी
जीवन में क्या कर पाओगे बाबाजी

रोते रोते आये  जैसे दुनिया में
वैसे ही तुम घर जाओगे बाबाजी

बाइक पर मोबाइल से मत बात करो
गिर जाओगे, मर जाओगे बाबाजी

पल दो पल भी अगर प्रभु को याद किया
भवसागर से तर जाओगे बाबाजी

कारें कितनी भी हों, काम न आएँगी
आखिर कान्धों पर जाओगे बाबाजी

प्यार किसी प्राणी से कर के तो देखो
तुम भीतर तक भर जाओगे बाबाजी

बच्चों की माँ धो डालेगी बेलन से
मदिरा पी कर गर जाओगे बाबाजी

'अलबेला' चुपचाप निकल लो महफ़िल से
वरना दिन भर सर खाओगे बाबाजी 

-अलबेला खत्री

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Comment

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Comment by Albela Khatri on March 7, 2013 at 3:34pm

aapka hardik aabhaar Vedika ji.....

:-)

Comment by वेदिका on March 4, 2013 at 12:31am

बहुत खूब!! बहुत खूब!!

बच्चों की माँ धो डालेगी बेलन से
मदिरा पी कर गर जाओगे बाबाजी

शानदार .. इतनी सुंदर सीधी सादी रचना मगर गहरे प्रहार करने वाली ,,देर से क्यों पदी ,, ???

शुभकामनायें !


सादर वेदिका 

Comment by Albela Khatri on July 23, 2012 at 6:59pm

धन्यवाद भाई संजय जी
सादर

Comment by Albela Khatri on July 23, 2012 at 6:51pm

आदरणीय सीमा जी.........पाठक और कवि मित्रों की पसन्द सूची में आ जाने का बड़ा आनन्द है ...ये आनन्द आपने  मुझे अनुभव कराया ,,,आपका आभारी हूँ
__सादर

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on July 23, 2012 at 6:47pm

वाह! वाह! आदरणीय अलबेला भाई जी... सुन्दर गजल पढ़ के आनंद आ गया...

सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Albela Khatri on July 23, 2012 at 6:43pm

धन्यवाद रेखा जी........
आप आये.........
अच्छा लगा
___सादर

Comment by Rekha Joshi on July 23, 2012 at 5:46pm

अलबेला जी ,सादर नमस्ते 

प्यार किसी प्राणी से कर के तो देखो 
तुम भीतर तक भर जाओगे बाबाजी ,बहुत खूब बाबा जी इस दुनिया में केवल प्यार ही सच है ,आभार 
Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 11:02pm

आपकी अनुकम्पा के समक्ष नत मस्तक हूँ भाईजी.........
आप की  सराहना सर आँखों पर
___साभार....सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2012 at 10:53pm

प्यार किसी प्राणी से कर के तो देखो
तुम भीतर तक भर जाओगे बाबाजी

’बाबाजी’ की ज़मीन पर, भाई अलबेलाजी, आपने इस मंच के माध्यम से बहुत कुछ साझा किया है.  अक्सर शेर मज़ाकिया लहज़े के हैं लेकिन उनकी तासीर बिना संदेह गंभीर और निर्देश सूचक है. इस बात में लेश मात्र संशय नहीं कि आप सामाजिक ज़िम्मेदारियों के प्रति संवेदनशील हैं उन्हें को बखूबी निभाना जानते हैं.

आपके इस सद्प्रयास पर मेरी सादर बधाई.

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 9:41pm

शुक्रिया

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