For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा, हिमालय जहाँ अब भी देता है पहरा
जहाँ चाँद बनता है बच्चों का मामा, वो भारत है मेरा वतन आशियाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

यहाँ माँ हैं नदियाँ बहें नित ही कल कल, भरण करती सबका सँवारे वही कल
यहाँ पत्थरों में है भगवान अब भी , ये साधू औ संतों का इक है ठिकाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

है बोली अलग बेशभूषा अलग है, जमीं एक करने को इन्सां सजग  है
भले सबकी दुनिया अलग सी दिखेगी, वतन का मगर एक ही है तराना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ रिश्तों नातों की कीमत है अब भी, जहाँ हर दिलों में मोहब्बत है अब भी
जहाँ स्वाभिमानी स्वयं सर कटा दे, जहाँ याद लोगों को वादे निभाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ माएं भी जंग लड़ने को आई , बनी काली बदली वो शत्रु पे छाई
जहाँ औरतों का हो सम्मान अब भी, जहाँ है वो माता का ममता बहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ वीर हँस हँस के फांसी पे झूले, वतन की मोहब्बत कभी भी न भूले
है कुर्बान खुद को किया इस वतन पर, कहा इसकी माटी का टीका लगाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ तीज त्यौहार हर-दम मनाते, सभी एक दूजे से मिलते मिलाते
है आँखों से झरता ख़ुशी वाला झरना,  नहीं कोई ढूंढें ख़ुशी का बहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ पे अदब ही था आदम का गहना, थी मीठी सी बोली था मीठा सा कहना
जहाँ थी नज़र में अदा भी हया भी, बहुत खूबसूरत था गुजरा ज़माना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

यहाँ अब तो गर्दिश है मातम है लोगो, बड़ा बदला बदला सा आलम है लोगो
है भ्रष्टों का छाया है काला सा साया, पड़ेगा हमें कल का भारत बनाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना


संदीप पटेल "दीप"

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:20pm

सदीप जी

         सादर, कारगिल दिवस पर, देश प्रेम पर रची सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 4:49pm

जहाँ रिश्तों नातों की कीमत है अब भी, जहाँ हर दिलों में मोहब्बत है अब भी 
जहाँ स्वाभिमानी स्वयं सर कटा दे, जहाँ याद लोगों को वादे निभाना 

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना 
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना 

प्रिय संदीप जी काविले तारीफ़ रचना ..सर ऊंचा हो जाता है ये सब सुन सोच देख ..अपना भारत स्वर्ग से सुन्दर ....काश आप की बातें जमीनी हकीकत बन जाएँ 

जय हिंद 
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 10:25am

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको ये गीत पसंद आया मेरा लेखन सफल हुआ
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 25, 2012 at 2:14pm

देश भक्ति ,और सम्मान कि भावना से ओतप्रोत गीत बहुत सुन्दर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
8 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
14 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
39 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करतीब हुत बढ़िया दोहावली की प्रस्तुति। इस…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आपने पर्यावरण के विभिन्न आयामों को सम्मिलित करते हुए एक बढ़िया प्रस्तुति दी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय पर बढ़िया कुंडलिया छंद हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। इस प्रस्तुति…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service