For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नहीं है पास तू अगर तो तेरी याद सही

नहीं है पास तू अगर तो तेरी याद सही
रही जो याद वो शहद सी मीठी बात सही

ग़मों में मुस्कुरा रहा हूँ गहरे जख्म छुपा
दिले-नाशाद क्यूँ फिरूँ जो रहना शाद सही

उजाले चीखने लगे जो तुझको देख अगर
अँधेरी गर्दिशों भरी ही काली रात सही

तुझे तो था पसंद मेरा खस्ता हाल बुरा
हुआ बरबाद चाहतों में तो बरबाद सही

दिलों का टूटना बुरा या अच्छा "दीप" यहाँ
मिली इक जिन्दगी मुझे तो इसके बाद सही

संदीप पटेल "दीप"

Views: 461

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 25, 2012 at 9:24am


आदरणीय वीनस जी सादर प्रणाम
आपको मेरा लेखन पसंद आया और आपकी बेशकीमती प्रतिक्रिया मुझे मिली
आपका ह्रदय से धन्यवाद सहित सादर आभार
अनुज पर ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 25, 2012 at 9:22am

आदरणीया रेखा जी सादर प्रणाम
आपकी दाद ह्रदय से स्वीकार है
अपने ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 25, 2012 at 9:21am


आदरणीय अलबेला सर जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई आपकी आशीर्वाद स्वरुप दाद पा कर धन्य हो गया
अपने ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार

Comment by वीनस केसरी on August 25, 2012 at 1:50am

बहुत खूब संदीप जी आपकी लेखनी चमत्कृत करती है

ज़बरदस्त 

Comment by Rekha Joshi on August 24, 2012 at 8:38pm

नहीं है पास तू अगर तो तेरी याद सही
रही जो याद वो शहद सी मीठी बात सही,उम्दा गजल पर हादिक बधाई संदीप जी 

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 2:54pm

शानदार ग़ज़ल कही  संदीप पटेल जी..........
वाह वाह

उजाले चीखने लगे जो तुझको देख अगर
अँधेरी गर्दिशों भरी ही काली रात सही

तुझे तो था पसंद मेरा खस्ता हाल बुरा
हुआ बरबाद चाहतों में तो बरबाद सही

__बहुत खूब !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर नज़र ए करम का जी गुणीजनो की इस्लाह अच्छी हुई है"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मार्ग दर्शन व अच्छी इस्लाह के लिए सुधार करने की कोशिश ज़ारी है"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय इतनी बारीक तरीके से इस्लाह करने व मार्ग दर्शन के लिए सुधार करने की कोशिश…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी सूक्ष्म समीक्षात्मक उत्तम प्रतिक्रिया का दिल…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला नहीं हुआ,  जनाब  ! मिसरे परस्पर बदल कर देखिए,  कदाचित कुछ बात  बने…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आराम  गया  दिल का  रिझाने के लिए आ हमदम चला आ दुख वो मिटाने के लिए आ  है ईश तू…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्श के लिए आभार। तीसरे शेर पर…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शायर निकलता है।…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुति में हुई कोई…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए आ. दूसरी…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान को इन्सान…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service