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तोहफों के चयन के लिए मन में व्याप्त डर को बढ़िया अभिव्यक्त किया है..बधाई
बिलकुल भाई-
बढ़िया प्रस्तुति -
शुभकामनायें-
पहली बार इस पटल पर आपकी रचना पढ़ते हुए जिसकी उम्मीद थी वह बात नहीं हुई, मन थोड़ा कसमसाया कि ऐसा कैसे हो सकता है पर पूरी रचना पढ़ते-पढ़ते आश्वस्ति गहरे उतर गई, आशा है यह आश्वस्ति आगे भी आप देते रहेंगें और मैं पाठक उसको समेटे मीठे सपने को बिना किसी कड़वाहट के स्वीकार एवं अंगीकार करता रहूंगा । हार्दिक बधाई इस सुंदर रचना पर
achha hai...
KYA BAT HAI.....
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