तुम्हारे उपवन के उपेक्षित कोने में
एक नन्हा सा घरौंदा है,
जहाँ मैं और मेरी तन्हाई
साथ-साथ रहते हैं –
क्या तुमने कभी देखा है ?
यहाँ तुम्हारे आंचल की सरसराहट
सुनाई नहीं देती,
तुम्हारी खुशी की खिलखिलाहट भी
मंद पड़ जाती है –
पर,
तुम्हारे गजरे का सुबास
स्वयम यहाँ आता है,
हर सुबह एक कोयल
कोई नया राग गाती है ;
हमने ओस की बूंदों को
पलकों का सेज दिया है –
क्या तुमने कभी जाना है ?
जब तुम्हारे गीतों को
भँवरे गुनगुनाते हैं,
जब पराग से मधुरस वे
चुपके से ले जाते हैं,
हमारे घरौंदे में भी
आहट सी होती है;
पुलकित एक भाव जब
मुझमें समा जाता है,
दिल की हर धड़कन
बस यही राग गाती है –
कोई कहीं आता है
कोई कहीं आती है –
क्या तुमने कुछ समझा !!
Comment
प्रियवर पाठकजी और सारस्वत जी, आप लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया है. मैं आभारी हूँ.
तुम्हारे गजरे का सुबास
स्वयम यहाँ आता है,
हर सुबह एक कोयल
कोई नया राग गाती है ;
हमने ओस की बूंदों को
पलकों का सेज दिया है –
क्या तुमने कभी जाना है ?
bahut sundar bhaav
जब तुम्हारे गीतों को
भँवरे गुनगुनाते हैं,
जब पराग से मधुरस वे
चुपके से ले जाते हैं,
हमारे घरौंदे में भी
आहट सी होती है;.....................sundar ati sundar adarneey sharadindu mukerji ji....
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