For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सखी! साजन नहि आए रात।

नयन से नीर,
झर झर टपकत,
सावन झरै बरसात।


सुन्दर-सुन्दर,
सेज सजाई,
करवट करे उफनात।।
सखी! साजन नहि आए रात।

द्वार खड़ी पथ,
उड़त धूल अस,
बड़ा तूफान गहरात।


अब फिर डूबा,
सूरज पछुवा,
फिर-फिर डसे कस रात।।
सखी! साजन नहि आए रात।
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 5:50pm

आदरणीया, राजेश कुमारी जी, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 5:48pm

आदरणीय, राम शिरोमणि पाठक जी, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 5:47pm

आदरणीय, आशीष नैथानी सलिल जी, आपकी सराहना एवं उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 5:42pm

आदरणीय, गुरूजी,सौरभ पाण्डे जी, आपके आशीष वचनों से मैं धन्य हो गया। सादर एवं बहुत-बहुत हार्दिक आभार।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 5:35pm

आदरणीया, कुन्ती मुखर्जी जी, आपके उत्साह वर्धन हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 1, 2013 at 11:19pm

एक विरह्नि कि हिय व्यथा को क्या खूब शब्द दिए हैं अति सुंदर बहुत बहुत बधाई

Comment by ram shiromani pathak on April 1, 2013 at 4:49pm

 अति सुन्दर..भाई केवलजी.

बहुत बहुत बधाई.. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2013 at 1:10pm

व्यग्र और आकुल दशा की कथा बताता पारंपरिक गीतों की परिधि में आपने सुन्दर गीत रचा है, भाई केवलजी.

बहुत बहुत बधाई.. .

Comment by coontee mukerji on April 1, 2013 at 1:00am

मन को छू देने वाला अति सुंदर गीत . केवल जी  अच्छा लगा.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 31, 2013 at 10:42pm

भाई केवल प्रसाद जी....
क्या सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है विरह का, वेदना का, प्रतीक्षा का |

सुन्दर-सुन्दर,
सेज सजाई,
करवट करे उफनात।।
सखी! साजन नहि आए रात।

अति सुन्दर...  हार्दिक बधाइयाँ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । सर यह एक भाव…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा लेखन किया है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। बहुत बहुत…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सुझाव के लिए हार्दिक आभार लेकिन…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"अच्छे दोहें हुए, आ. सुशील सरना साहब ! लेकिन तीसरे दोहे के द्वितीय चरण को, "सागर सूना…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कामरूप छंद // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"सीखे गजल हम, गीत गाए, ओबिओ के साथ। जो भी कमाया, नाम माथे, ओबिओ का हाथ। जो भी सृजन में, भाव आए, ओबिओ…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion वीर छंद या आल्हा छंद in the group भारतीय छंद विधान
"आयोजन कब खुलने वाला, सोच सोच जो रहें अधीर। ढूंढ रहे हम ओबीओ के, कब आयेंगे सारे वीर। अपने तो छंदों…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion उल्लाला छन्द // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"तेरह तेरह भार से, बनता जो मकरंद है उसको ही कहते सखा, ये उल्लाला छंद है।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion शक्ति छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"शक्ति छंद विधान से गुजरते हुए- चलो हम बना दें नई रागिनी। सजा दें सुरों से हठी कामिनी।। सुनाएं नई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Er. Ambarish Srivastava's discussion तोमर छंद in the group भारतीय छंद विधान
"गुरुतोमर छंद के विधान को पढ़ते हुए- रच प्रेम की नव तालिका। बन कृष्ण की गोपालिका।। चल ब्रज सखा के…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion हरिगीतिका छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"हरिगीतिका छंद विधान के अनुसार श्रीगीतिका x 4 और हरिगीतिका x 4 के अनुसार एक प्रयास कब से खड़े, हम…"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service